महाराष्ट्र में एनसीपी की राजनीति दिलचस्प हो रही है। ऐसा लग रहा है कि पार्टी के सुप्रीमो शरद पवार अपने भतीजे अजित पवार के राजनीतिक करियर पर पूर्णविराम लगाने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने सुप्रिया सुले को कार्यकारी अध्यक्ष बना कर एक तरह से पार्टी की कमान उनके हाथ में सौंप दी है। इसके जवाब में अजित पवार ने प्रदेश की राजनीति अपने हाथ में लेने का प्रयास किया तो शरद पवार ने वहां उनको मात देने के लि अपना दांव चल दिया है। अजित पवार के मुकाबले पार्टी के पुराने नेता छगन भुजबल को आगे किया गया है।
जिस दिन अजित पवार ने प्रदेश अध्यक्ष पद पर दावेदारी की उसके अगले दिन छगन भुजबल ने कहा कि वे प्रदेश अध्यक्ष बनना चाहते हैं। ध्यान रहे भुजबल पार्टी के बहुत पुराने नेता हैं और शरद पवार के बेहद करीबी व भरोसेमंद हैं। वे महाराष्ट्र की राजनीति के सबसे बड़े ओबीसी चेहरों में से एक हैं। उनकी दावेदारी का मतलब है कि शरद पवार का समर्थन उनको होगा। वे यह समझा सकते हैं कि पार्टी को ओबीसी चेहरा आगे करने की जरूरत है क्योंकि पारंपरिक रूप से एनसीपी मराठा मतदाताओं की पार्टी मानी जाती है। सो, अगर मराठा, मुस्लिम और ओबीसी का समीकरण बनेगा को पार्टी के लिए बेहतर होगा। ध्यान रहे अभी जयंत पाटिल प्रदेश अध्यक्ष हैं और वे पांच साल से पद पर है। सो, उनको हटना है। अगर अजित पवार उनकी जगह प्रदेश अध्यक्ष बनने में कामयाब हो जाते हैं तो महाराष्ट्र की राजनीति में उनका दबदबा बना रहेगा और अगर वे अध्यक्ष नहीं बन पाते हैं तो उनके करियर का ढलान शुरू हो जाएगा।