महाराष्ट्र में भाजपा, शिव सेना और एनसीपी के अजित पवार गुट का गठबंधन अगर एक रहता है और तीनों पार्टियां मिल कर चुनाव लड़ती हैं तो टिकटों का बंटवारा आसान नहीं होगा। तीनों पार्टियों का दावा बहुत बड़ा होगा। पिछले लोकसभा चुनाव में राज्य की 48 सीटों में से भाजपा ने 25 और शिव सेना ने 22 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इस बार एकनाथ शिंदे गुट पहले से 22 सीटों की मांग कर रहा है। ध्यान रहे शिव सेना के 18 में से 13 सांसद शिंदे गुट के हैं। सो, इन 13 सांसदों को टिकट चाहिए। उसके अलावा नौ और सीटें शिंदे गुट मांग रहा है। अब अजित पवार के साथ आ जाने के बाद स्थिति और उलझेगी।
बताया जा रहा है कि अजित पवार का दावा कम से कम 10 सीटों का है। दूसरी ओर भाजपा भी पहले से ज्यादा सीट लड़ना चाह रही है ताकि उसकी 23 सीटें बची रहें। अगर वह पिछली बार की तरह 25 सीट लड़ती है तो वह बहुत भरोसे में नहीं है कि 23 सीट जीत पाएगी। सो, जानकार सूत्रों का कहना है कि भाजपा 28 सीटों पर लड़ना चाहती है। एक सीट रामदास अठावले की पार्टी आरपीआई को भी देनी होती है। इसके बाद 19 सीटें बचेंगी। बताया जा रहा है कि एकनाथ शिंदे और अजित पवार की पार्टियों को 10-10 सीटें देनी होंगी तो भाजपा को अपने कोटे से एक सीट अठावले को देनी होगी। यानी तब भाजपा 27 सीट लड़ेगी। विधानसभा चुनाव में तस्वीर और उलझेगी। तभी कहा जा रहा है कि इस तरह का विवाद होने पर शिंदे गुट के कुछ नेता वापस उद्धव ठाकरे के साथ जाएंगे और अजित पवार के कुछ साथी वापस शरद पवार के पास जाएंगे।