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महाराष्ट्र में कमाल का संयोग

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके गुट के 15 अन्य विधायक क्या अयोग्य घोषित होंगे? यह लाख टके सवाल है, जिसका जवाब किसी को पता नहीं है। हालांकि कायदे से ऐसा होना नहीं चाहिए क्योंकि विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर भाजपा के नेता हैं और एकनाथ शिंदे भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बने हैं। इसके बावजूद इस बात की चर्चा है कि उनकी सदस्यता जा सकती है और इसलिए भाजपा ने पहले ही एनसीपी के नेता अजित पवार को गठबंधन में शामिल कराया है और उनको उप मुख्यमंत्री बनाया है।

सवाल है कि शिंदे और उनके गुट के 15 विधायकों की सदस्यता जाने वाली थी इसलिए अजित पवार को सरकार में शामिल किया गया या अजित पवार अब सरकार में शामिल हो गए हैं इसलिए एकनाथ शिंदे की सरकार जाएगी? कई लोग मानते हैं कि अजित पवार सरकार में आ गए हैं और एनसीपी का बड़ा धड़ा भाजपा के साथ आ गया है इसलिए भाजपा को अब एकनाथ शिंदे की जरूरत नहीं रह गई है। इसलिए उनकी सदस्यता जाएगी। यह एक साजिश थ्योरी है, जिसे प्रमाणित करने के लिए तथ्य नहीं हैं फिर भी कुछ ऐसा संयोग हुआ है, जिससे इस थ्योरी की पुष्टि होती है।

अजित पवार दो जुलाई को अपने चाचा से बगावत करके भाजपा के साथ गए और उप मुख्यमंत्री बने। उसके एक हफ्ता पूरा होने से पहले ही आठ जुलाई को स्पीकर राहुल नार्वेकर ने एकनाथ शिंदे और उनके गुट के 15 और विधायकों को नोटिस जारी किया और एक हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा कि क्यों न उनकी सदस्यता समाप्त कर दी जाए? स्पीकर ने उद्धव ठाकरे गुट को भी नोटिस जारी किया है। क्या यह कमाल का संयोग नहीं है? सोचें, सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को उद्धव ठाकरे गुट की याचिका पर फैसला सुनाया था और कहा था कि विधायकों की अयोग्यता पर फैसला स्पीकर को करना है। अदालत ने स्पीकर को जल्दी फैसला करने के लिए कहा था। लेकिन डेढ़ महीने से ज्यादा समय तक स्पीकर ने इसमें कोई पहल नहीं की।

इसके बाद अजित पवार और एनसीपी के विधायकों का गुट भाजपा गठबंधन में शामिल हुआ और अयोग्यता की प्रक्रिया में तेजी आ गई। पहले चुनाव आयोग ने शिव सेना का संविधान स्पीकर को भेजा और उसके बाद स्पीकर ने शिंदे और ठाकरे गुट को नोटिस जारी कर दिया। हालांकि इसका यह मतलब नहीं है कि स्पीकर शिंदे और उनके समर्थक 15 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दें, लेकिन अगर उनकी सदस्यता नहीं जाती है तो उसकी भी कोई राजनीतिक कीमत होगी। क्या सदस्यता बचाने के लिए वे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देंगे? इससे भी बड़ा सवाल है कि उन्होंने इस्तीफा दिया तो मुख्यमंत्री कौन बनेगा? देवेंद्र फड़नवीस की ताजपोशी होगी या अजित पवार का जिंक्स टूटेगा और वे मुख्यमंत्री बनेंगे?

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