महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया चल रही है। दोनों गठबंधनों, सत्तारूढ़ महायुति और विपक्षी महा विकास अघाड़ी के बीच सीटों का बंटवारा हो गया है। थोड़ी सी जिन सीटों पर विवाद था, उन्हें सोमवार को देर रात तक सुलझा लिया जाएगा क्योंकि मंगलवार, 29 अक्टूबर नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख है। इसके बाद भी अगर कुछ उम्मीदवार मैदान में रह जाते हैं तो उनका नाम वापस कराने का प्रयास होगा। ध्यान रहे दोनों गठबंधनों की छह पार्टियों की ओर से ऐसे उम्मीदवार हैं, जो पार्टी की ओर से नाम घोषित हुए बगैर ही परचा भर कर मैदान में हैं। उनके अलावा छह पार्टियों के बागी भी हैं, जिनको मनाने का प्रयास चल रहा है। लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित करने की बात कहीं से सुनाई नहीं दे रही है।
नामांकन शुरू होने के पहले तक उद्धव ठाकरे सबसे ज्यादा मुखर थे। वे चाहते थे कि किसी को भी मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित किया जाए। पहले तो उन्होंने खूब प्रयास किया कि उनको सीएम का चेहरा बना कर एमवीए चुनाव लड़े। इसके लिए वे कई दिन तक दिल्ली में बैठे रहे और कांग्रेस नेताओं से मिले। लेकिन जब इसमे कामयाबी नहीं मिली तो उन्होंने कहना शुरू किया कि एमवीए किसी भी नेता को सीएम का दावेदार घोषित कर दे, वे उसका समर्थन करने को तैयार हैं। उन्होंने महायुति को भी चुनौती दी थी कि वह सीएम का चेहरा घोषित करके चुनाव लडे। लेकिन उधर से भी किसी का नाम नहीं लिया गया। यहां तक कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नाम की भी चर्चा नहीं हो रही है। ऐसा लग रहा है कि अब दोनों तरफ यह सिद्धांत रूप से तय कर लिया गया है कि बिना किसी चेहरे के चुनाव लड़ना है।
तभी अब परोक्ष लड़ाई शुरू हो गई है। विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी में सबसे ज्यादा सीट लड़ कर सीएम पद की दावेदारी देने की होड़ है तो महायुति की ओर से सबसे ज्यादा सीट जीत कर यानी सबसे बड़ी पार्टी बन कर मुख्यमंत्री पद की दावेदारी का मैसेज है। भाजपा के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने कहा है कि भाजपा अकेले चुनाव नहीं जीतेगी लेकिन वह सबसे बड़ी पार्टी होगी। अब भी भाजपा ही सबसे बड़ी पार्टी है लेकिन मौजूदा सरकार शिव सेना को तोड़ कर बनी थी इसलिए भाजपा का सीएम नहीं बना था। लेकिन इस बार सबसे बड़ी पार्टी बनने और सरकार बनाने की स्थिति बनने पर सीएम भाजपा का होगा। वहां स्पष्ट दावेदार फड़नवीस ही दिख रहे हैं।
इसके उलट महा विकास अघाड़ी में सबसे बड़ी पार्टी बनने से पहले सबसे ज्यादा सीट लड़ने का घमासान छिड़ा है। पहले कहा जा रहा था कि कांग्रेस सबसे ज्यादा सीट लड़ेगी। उस समय 105. 94 और 85 का फॉर्मूला भी तय हुआ था। लेकिन बाद में तीनों पार्टियों के बीच 85-85 सीट बंटने का फॉर्मूला बना, फिर 90-90 सीट के बंटवारे की बात आई। शिव सेना ने तय किया है कि वह कांग्रेस को अपने से ज्यादा सीट नहीं लड़ने देगी। क्योंकि जो ज्यादा सीट लड़ेगा उसी का सीएम बनने का मैसेज जनता के बीच जाएगा। ध्यान रहे उद्धव के लिए बहुत जरूरी है कि उनकी पार्टी का सीएम बनने का मैसेज जाए। अगर ऐसा नहीं होता है तो शिव सैनिकों का एकतरफा समर्थन शायद नहीं मिले। तब वे एकनाथ शिंदे की तरफ भी देख सकते हैं।