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पटोले की महत्वाकांक्षा से समस्या

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की घोषणा की तारीख जैसे जैसे नजदीक आ रही है वैसे वैसे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले की बेचैनी बढ़ रही है। अपने खिलाफ पार्टी नेताओं की ओर से चलाए गए तमाम अभियान के बावजूद वे अध्यक्ष पद पर बने रहें और राहुल गांधी ने उन पर भरोसा किया तो वे अब अपने को मुख्यमंत्री पद का स्वाभाविक दावेदार मानने लगे हैं। उनको लग रहा है कि पार्टी के पास अब कोई बड़ा मराठा नेता नहीं बचा है और कोई दलित चेहरा भी नहीं है तो मजबूत पिछड़े नेता के तौर पर उनकी दावेदारी स्वाभाविक है। लेकिन वे चुप रह कर इंतजार करने के मूड में भी नहीं हैं। सो, उनकी ओर से यह प्रयास हो रहा है कि किसी तरह चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे को चेहरा नहीं घोषित किया जाए और किसी तरह से चुनाव से पहले यह स्थापित हो जाए कि कांग्रेस की ओर से वे चेहरा हैं।

तभी उन्होंने पिछले दिनों मुख्यमंत्री का दावेदार घोषित करने की उद्धव ठाकरे की मांग की विरोध करते हुए कहा कि चुनाव से पहले कोई चेहरा पेश करने की जरुरत नहीं है। अब उनके एक करीबी सांसद प्रशांत पडोले ने ऐलान कर दिया है कि महाविकास अघाड़ी की सरकार बनी तो नाना पटोले मुख्यमंत्री बनेंगे। ध्यान रहे पडोले भंडारा गोंदिया सीट से सांसद हैं, जिस सीट पर 2014 के लोकसभा चुनाव में नाना पटोले भाजपा की टिकट से जीते थे। बाद में वे भाजपा छोड़ कर फिर कांग्रेस में लौट आए। उन्होंने 2014 में इस सीट पर एनसीपी के सांसद प्रफुल्ल पटेल को हराया था। यह नाना पटोले का मजबूत गढ़ है, जहां उनकी सिफारिश पर प्रशांत पडोले को टिकट मिली और अब वे नाना पटोले को सीएम बनाने की मुहिम छेड़े हुए हैं। लेकिन पटोले की इस महत्वाकांक्षा से कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की पार्टी में असहजता बढ़ रही है।

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