एनसीपी में विभाजन अगर उसके संस्थापक शरद पवार का खेल है तो अगले महीने उस पर से परदा उठ सकता है। चुनाव आयोग ने यह माना है कि शरद पवार की पार्टी में विभाजन हुआ है और उसने एनसीपी के दोनों गुटों को अपने दस्तावेज जमा करने और छह अक्टूबर को उस पर सुनवाई करने की जानकारी दी है। इस बीच विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर ने शिव सेना के दोनों गुटों की ओर से एक दूसरे के विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए दायर याचिकाओं पर सुनवाई शुरू कर दी है। जल्दी ही स्पीकर के सामने एनसीपी के विभाजन और एक दूसरे के गुट के विधायकों को अयोग्य ठहराने का मामला भी आएगा, जिस पर सुनवाई होगी। सो, स्पीकर और चुनाव आयोग दोनों जगह शरद पवार को एक स्टैंड लेना होगा।
इस बीच खबर है कि शरद पवार ने अपनी पार्टी की एक बैठक बुलाई थी, जिसमें उन्होंने अजित पवार को भी बुलाया था लेकिन वे इस बार भी बैठक में शामिल नहीं हुए। उनका बैठक में शामिल नहीं होना बड़ी बात नहीं है। बड़ी बात यह है कि शरद पवार की ओर से अब भी उनको अपनी पार्टी का नेता माना जा रहा है और बुलाया जा रहा है। लेकिन यह स्टैंड स्पीकर और चुनाव आयोग के सामने नहीं चलेगा। पवार की पार्टी टूट गई है और उनके 40 विधायक अजित पवार के साथ जाकर सरकार में शामिल हो गए हैं। यह बात चुनाव आयोग को शरद पवार खेमे की ओर से बताया गया है।
सवाल है कि फिर कैसे शरद पवार पार्टी नहीं टूटने या अजित पवार के साथ होने का दावा कर रहे हैं? उद्धव ठाकरे की पार्टी टूटी थी तब उनके खेमे ने स्पीकर के यहां से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक अपील की थी। लेकिन शरद पवार अदालत नहीं गए हैं। वे स्पीकर के सामने यह मुद्दा उठा सकते हैं कि पहले नौ विधायक टूटे और इसलिए उन नौ की सदस्यता खत्म की जाए। अगर स्पीकर फैसला नहीं करते हैं तो वे अदालत जा सकते हैं। लेकिन वे ऐसा कुछ नहीं कर रहे हैं। अब अगले महीने के पहले हफ्ते में जब चुनाव आयोग एनसीपी टूटने के मामले में सुनवाई करेगा तब हो सकता है कि पता चले कि इसके पीछे क्या खेल है।