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पवार भतीजे के साथ जाएंगे या कांग्रेस के?

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सबसे बड़े मराठा क्षत्रप शरद पवार की राजनीति चौराहे पर है। उनको फैसला करना है कि आगे वे क्या करेंगे? वे पिछले चुनाव के बाद से ही 2024 के विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहे थे। उन्होंने उद्धव ठाकरे को भाजपा गठबंधन से निकाल कर कांग्रेस और एनसीपी की मदद से सरकार बनाने के लिए तैयार किया तो उनके दिमाग में 2024 का ही चुनाव था। वे एक बिल्कुल नए गठबंधन के साथ यह चुनाव लड़ना चाहते थे और ऐसी स्थिति हासिल करना चाहते थे, जिसमें वे अपनी बेटी सुप्रिया सुले को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बना देते। चुनाव के बीच उन्होंने महिला मुख्यमंत्री का शिगूफा इसलिए छोड़ा था। सब कुछ उनके हिसाब से चल भी रहा थे लेकिन नतीजे वैसे नहीं आए, जैसे वे चाहते थे। वे दोनों गठबंधन की छह पार्टियों में शीर्ष तीन पार्टियों में स्थान हासिल करना चाहते थे। तब उनके हिसाब से सरकार बनती। लेकिन वे सबसे नीचे छठे स्थान पर चले गए।

अब उनको फैसला करना है कि आगे की राजनीति क्या होगी? उनकी उम्र 84 साल हो गई है, इसलिए फिर फिनिक्स चिड़िया की तरह राख से उठ खड़ा होना मुश्किल दिख रहा है। अभी तो इसी बात की आशंका दिख रही है कि उनकी पार्टी से जीते 10 विधायकों में से कितने उनके साथ रहेंगे और उनके आठ लोकसभा सांसदों में से कितने उनकी पार्टी में टिके रहेंगे। क्योंकि उनकी पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह के साथ साथ पार्टी का वोट आधार और उनकी राजनीतिक विरासत में अजित पवार ले गए। हालांकि यह भी सही है कि अजित पवार, जहां हैं वहां उप मुख्यमंत्री से आगे बढ़ने की हैसियत उनकी नहीं है। अगर वे मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं तो उनको भी जोखिम लेना होगा और कुछ साहसी फैसला करना होगा।

तभी एक संभावना तो यह जताई जा रही है कि शरद पवार अपने भतीजे अजित पवार को ही उत्तराधिकारी मान लें और अपनी पार्टी का विलय उनके साथ कर दें। इससे दो बातें होंगी। पहली तो अजित पवार बिना कुछ कहे शरद पवार की जगह ले लेंगे। इसके बाद वे मुख्यमंत्री बनने की अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए काम कर सकते हैं। अगले चुनाव में वे उसी तरह से कांग्रेस से तालमेल कर सकते हैं, जैसे उनके चाचा पहले करते थे। उनकी चाचा की पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन में दोनों पार्टियां लगभग बराबर सीटें जीतती थीं, लेकिन शरद पवार हमेशा कांग्रेस का सीएम बनवा देते थे। अजित पवार अगर खुद कमान में रहेंगे तो वे अपने लिए मुख्यमंत्री पद की मोलभाव कर पाएंगे। अपनी बेटी सुप्रिया सुले और परिवार के दूसरे सदस्यों का राजनीतिक भविष्य सुरक्षित रखने के लिए शरद पवार के पास दूसरा विकल्प यह है कि वे अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में कर दें। इससे कांग्रेस की सीटें सम्मानजनक हो जाएंगी और उसको मुख्य विपक्षी पार्टी का दर्जा मिल जाएगा। इससे वह मजबूत विपक्ष की राजनीति कर पाएगी। राहुल और प्रियंका के साथ सुप्रिया सुले के संबंध अच्छे हैं। वे आगे महाराष्ट्र में कांग्रेस की राजनीति का एक महत्वपूर्ण चेहरा बनी रह सकती हैँ। वैसे भी कांग्रेस से अलग होकर बनी ज्यादातर पार्टियों का भविष्य कांग्रेस के साथ ही होता है।

By NI Political Desk

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