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पवार पर संशय जारी है

शरद पवार को लेकर विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की पार्टियों में संशय खत्म होने की बजाय बढ़ गया है। सोचें, शरद पवार और उद्धव ठाकरे की मेजबानी में अगस्त के आखिरी हफ्ते में ‘इंडिया’ की तीसरी बैठक होने वाली है। उससे पहले विपक्षी पार्टियां इस बात को लेकर संशय में हैं कि शरद पवार किस साइड हैं। उन्होंने पार्टी से अलग होने वाले नेताओं पर कोई कार्रवाई नहीं की है। पार्टी टूटने के बाद दो-चार दिन तक वे सक्रिय रहे थे लेकिन अब सक्रियता भी खत्म हो गई है। पार्टी छोड़ने वाले सभी विधायकों के साथ दो बार में उनकी मुलाकात हुई है। पहले नौ लोग मिले, जो मंत्री बने हैं और उसके बाद 15 और विधायक अगले दिन मिले। सबने कहा कि वे शरद पवार का आशीर्वाद लेने के लिए मिले थे।

अब एक अगस्त को शरद पवार को एक ऐसे कार्यक्रम में हिस्सा लेना है, जिसमें मुख्य अतिथि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार दिए जाने के मौके पर पवार और मोदी मंच साझा करेंगे। विपक्षी पार्टियों को लग रहा है कि मुंबई में होने वाली गठबंधन की बैठक से पहले इतने बड़े नेता का प्रधानमंत्री मोदी के साथ मंच साझा करना ठीक नहीं होगा। इसका मैसेज गलत जाएगा। शरद पवार को लेकर महाराष्ट्र में पहले से यह मैसेज है कि पार्टी टूटी नहीं है, बल्कि रणनीति के तहत तुड़वाई गई है और सब कुछ पवार सीनियर के आशीर्वाद से ही हुआ है।

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेता राज ठाकरे ने दावा किया है कि एनसीपी नेताओं का एक गुट भतीजे अजित पवार के नेतृत्व में भाजपा के साथ चला गया है और दूसरा चाचा यानी शरद पवार के नेतृत्व वाला गुट भी जल्दी ही भाजपा के साथ जाएगा। खुद शरद पवार पहले कह चुके हैं कि उन्होंने 2019 में सरकार बनाने के लिए भाजपा से बात की थी। सो, शरद पवार और महाराष्ट्र के दूसरे नेताओं के बयानों से संशय बढ़ रहा है। हालांकि कोई भी नेता दावे के साथ नहीं कह सकता है कि शरद पवार क्या करेंगे?

जो लोग बहुत दावे के साथ कह रहे हैं कि पवार ने ही अपनी पार्टी तुड़वाई है वे भी दावे के साथ यह नहीं बता सकते हैं कि इसके पीछे असली मकसद क्या है। ज्यादातर जानकार मान रहे हैं कि शरद पवार भाजपा के साथ नहीं जाएंगे और यह भी कहा जा रहा है कि उनका मराठा वोट उनके साथ एकजुट है। यह वोट तभी टूटेगा, जब भाजपा उनके भतीजे अजित पवार को मुख्यमंत्री बना दे। बहरहाल, असल में क्या होगा यह किसी को पता नहीं है कि लेकिन चूंकि विपक्षी गठबंधन की अगली बैठक मुंबई में होने वाली है और उससे पहले शरद पवार को मोदी के साथ मंच साझा करना है इसलिए उनकी राजनीति को लेकर अटकलों का दौर चलता रहेगा।

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