महाराष्ट्र में शरद पवार के परिवार के एकीकरण का प्रयास तेज हो गया है। यह कब तक होगा, कहा नहीं जा सकता है लेकिन यह दावा जरूर किया जा रहा है कि परिवार के सदस्यों के बीच जो कटुता थी वह खत्म हो गई है। लोकसभा और विधानसभा के चुनाव खत्म होने के साथ ही शरद पवार और अजित पवार खेमे में बंटे परिवार के सदस्य एक हो गए हैं। पारिवारिक और सामाजिक स्तर पर तो एकीकरण हो भी गया है, अब राजनीतिक एकीकरण का प्रयास शुरू हुआ है। परिवार के बुजुर्गों ने इसकी पहल की है। वैसे यह भी कहा जा रहा है कि पिछले दिनों शरद पवार के जन्मदिन के मौके पर अजित पवार और उनकी पत्नी सुनेत्रा पवार ने शरद पवार के घर जाकर ही यह संकेत दे दिया था कि परिवार भले राजनीतिक रूप से अलग अलग है लेकिन बाकी मामलों में पहले जैसी स्थिति बहाल हो गई है। असल में लोकसभा चुनाव में बारामती से सुप्रिया सुले के खिलाफ सुनेत्रा पवार के लड़ने और विधानसभा में अजित पवार के खिलाफ युगेंद्र पवार को उतारने से कटुता ज्यादा बढ़ी थी।
बहरहाल, अजित पवार की मां आशा पवार ने नए साल के मौके पर एक मंदिर में पूजा के बाद कहा कि उन्होंने भगवान से प्रार्थना की है कि अजित पवार और शरद पवार एक हो जाएं। उनके इस बयान से बड़ा संदेश गया है क्योंकि उसके तुरंत बाद अजित पवार की पार्टी के राज्यसभा सांसद प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि शरद पवार का दर्जा हमारे लिए भगवान का है। प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि अगर शरद और अजित पवार एक होते हैं तो इससे अच्छी बात नहीं हो सकती है। यही बात एनसीपी के एक अन्य नेता नरहरि जिरवाल ने भी कही है। हालांकि शरद पवार अब भी दूरी बनाए हुए हैं और अजित पवार को बड़ा नेता मानने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने एक कथित बयान में कहा है कि जो अपनी पत्नी और बेटे को चुनाव नहीं जिता सके वह क्या नेता है। इसके बावजूद कहा जा रहा है कि एकीकरण हो जाएगा। अगर परिवार एक होता है तो बैठे बैठे भाजपा को आठ अतिरिक्त सांसदों का समर्थन मिल जाएगा। यह भी कहा जा रहा है कि सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल केंद्र में मंत्री बन सकते हैं।