तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ जो कॉरपोरेट वॉर चल रहा है, कुछ अन्य लोग भी उसका शिकार हो रहे हैं। बीजू जनता दल के सांसद पिनाकी मिश्रा, वित्तीय पत्रकार सुचेता दलाल और लॉ फर्म चलाने वाले शार्दूल श्रॉफ भी निशाने पर आए हैं। सुचेता दलाल और शार्दूल श्रॉफ का नाम तो दर्शन हीरानंदानी ने अपने हलफनामे में लिया है लेकिन पिनाकी मिश्र का नाम अलग से चर्चा में आ गया है। महुआ मोइत्रा के साथ उनके संबंधों को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। ओडिशा में भाजपा के प्रवक्ता ने पिनाकी मिश्रा को महुआ मोइत्रा के साथ जोड़ते हुए कई अनर्गल आरोप लगाए और बीजू जनता दल के प्रमुख नवीन पटनायक से कहा कि वे पिनाकी मिश्रा को पार्टी से निकालें। हालांकि मिश्रा ने भाजपा प्रवक्ता पर कानूनी कार्रवाई की बात कही है।
इसी तरह दर्शन हीरानंदानी के हलफनामे में वित्तीय पत्रकार सुचेता दलाल का नाम भी है। हीरानंदानी ने कहा है कि सुचेता दलाल हर तरह की आधू अधूरी सूचनाएं महुआ मोइत्रा को उपलब्ध कराती थीं। ध्यान रहे सुचेता दलाल बहुत सम्मानित पत्रकार हैं और हर्षद मेहता का घोटाला खोलने में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने बहुत साफ शब्दों में कहा है कि वे महुआ मोइत्रा से न कभी मिली हैं और न कभी उनसे बात की है। लेकिन ऐसा लग रहा है कि वे अडानी समूह की कुछ गड़बड़ियों के बारे में लिखती रहती हैं और कई बार महुआ का ट्विट रीट्विट किया है इसलिए उनको भी इसमें लपेट लिया गया। हालांकि इससे फायदा होने की बजाय हलफनामे की विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं। बहरहाल, तीसरा नाम शार्दूल श्रॉफ का है। हीरानंदानी के हलफनामे में महुआ की मदद करने वाले के तौर पर उनका नाम है। उन्होंने भी महुआ से किसी तरह का संपर्क होने से इनकार किया है। उनके मामले में कहानी दूसरी है। उनका अपने भाई सिरिस श्रॉफ से संबंध ठीक नहीं है और सिरिल गौतम अडानी के समधि हैं। ऐसा लगता है कि इस वजह शार्दुल श्रॉफ को लपेटा गया है। अब संसदीय समिति की जांच हो, सबसे पूछताछ हो तो कुछ पता चले।