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यमुना किनारे मनमोहन स्मारक

Manmohan Singh Funeral ControversyImage Source: ANI

केंद्र सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह का स्मारक नई दिल्ली में बनाने का फैसला कर लिया है। इस फैसले की जानकारी उनके परिवार को दे दी गई है। हालांकि अभी स्मारक के लिए जगह तय नहीं हुई है। लेकिन उनके परिवार के सदस्यों यानी पत्नी और बेटियों ने कहा है कि राजघाट के पास स्मारक बनाया जाना चाहिए, जहां बाकी सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों के स्मारक बने हैं। यह अलग बात है कि केंद्र सरकार चाहती है कि दिल्ली में राजघाट के पास स्मारक नहीं बनाया जाए क्योंकि वहां जगह कम है और दिल्ली धीर धीरे स्मारकों का शहर बनता जा रहा है। फिर भी मनमोहन सिंह के लिए अपवाद बनाया जा सकता है। सरकार में कई जानकार नेताओं का कहना है कि उन्होंने नहीं सोचा था कि मनमोहन सिंह के निधन पर इस तरह की प्रतिक्रिया होगी। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिस तरह से उनको याद किया गया है और उनके योगदान की जैसी चर्चा हुई है उसे देखते हुए सरकार को स्मारक बनाने की अपनी नीति पर पुनर्विचार करना पड़ा है।

हालांकि इसके बावजूद कांग्रेस ने निगम बोध घाट पर अंतिम संस्कार को मुद्दा बनाया है। यह कांग्रेस की मजबूरी भी थी क्योंकि अकाली दल ने इसे पहले मुद्दा बना दिया था। अकाली दल के प्रमुख सुखबीर बादल ने निगम बोध घाट पर अंतिम संस्कार करने के केंद्रीय गृह मंत्रालय के फैसले पर सवाल उठाया और कहा कि आज तक किसी भी प्रधानमंत्री या पूर्व प्रधानमंत्री का अंतिम संस्कार निगम बोध घाट पर नहीं हुआ है। सुखबीर ने यह भी कहा कि निगम बोध घाट पर अंतिम संस्कार करके केंद्र सरकार देश के पहले सिख प्रधानमंत्री का अपमान कर रही है।

जब सुखबीर ने यह मुद्दा उठाया तो कांग्रेस ने भी इस मुद्दे पर बयान दिया और इसे देश के पहले व इकलौते सिख प्रधानमंत्री का अपमान बताया। हालांकि इससे केंद्र सरकार का फैसला नहीं बदला। दिल्ली के निगम बोध घाट पर ही राजकीय सम्मान के साथ डॉक्टर मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार किया गया।

अब केंद्र सरकार तय करेगी की उनका स्मारक कहां बनाया जाए। गौरतलब है कि राजघाट पर महात्मा गांधी की समाधि की कतार में ही पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी की समाधि बनी है। वहां लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, आईके गुजराल और चंद्रशेखर की भी समाधि है। राजघाट के सामने दूसरी तरफ चौधरी चरण की समाधि है, जिसे किसान घाट कहा जाता है। देश के तीन ही प्रधानमंत्री हुए, जिनकी समाधि दिल्ली में नहीं बनी। पहले मोरारजी देसाई हैं, दूसरे वीपी सिंह और तीसरे पीवी नरसिंह राव। मोरारजी देसाई का अंतिम संस्कार गुजरात में हुआ, जहां अहमदाबाद में अभय घाट नाम से उनकी समाधि बनी और नरसिंह राव का अंतिम संस्कार हैदराबाद में किया गया। वीपी सिंह का अंतिम संस्कार इलाहाबाद में, जिसका नाम अब प्रयागराज है वहां किया गया। इन तीन के अलावा बाकी सभी प्रधानमंत्रियों का अंतिम संस्कार दिल्ली में हुआ और दिल्ली में ही उनकी समाधि बनी। शांति वन और निगम बोध घाट के बीच चंद्रशेखर, आर वेंकटरमन, आईके गुजराल आदि की समाधि है। वहां मनमोहन सिंह की भी समाधि बनाई जा सकती है।

By NI Political Desk

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