मायावती कानूनी पचड़े में फंसने और केंद्रीय एजेंसियों की जांच के दायरे में आने से बचने के लिए बहुत समझौते कर रही हैं। जानकार सूत्रों के मुताबिक इसी वजह से वे राजनीतिक रूप से निष्क्रिय हुई हैं और घर में बैठ कर अपना वोट भाजपा की ओर जाते देख रही हैं। इसके बावजूद उनकी मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। उलटे एक नई मुश्किल आन पड़ी है। हालांकि अभी यह कहना संभव नहीं है कि किसी योजना के तहत उनके ऊपर मुश्किल लदी गई है या स्वाभाविक प्रक्रिया के तहत मुश्किल आई है। पर इतना तय है कि अगले लोकसभा चुनाव में अगर वे कुछ राजनीति करने की सोच रही होंगी तो अब उसे छोड़ना होगा। कहा जा रहा था कि अपने से ज्यादा चिंता उनको अपने भाई और उनके परिवार की थी और इस बार मुश्किल भाई और परिवार के ऊपर ही आई है।
दिवालिया संहिता के तहत एनसीएलटी में गई एक रियल इस्टेट कंपनी लॉजिक्स ग्रुप की ऑडिट रिपोर्ट इंडियन एक्सप्रेस अखबार में छपी है, जिसमें बताया गया है कि किस तरह से मायावती के मुख्यमंत्री रहते इस कंपनी को फायदा पहुंचाया गया।
इसमें यह भी बताया गया है कि मायावती के भाई आनंद कुमार और उनकी पत्नी विचित्र लता को इस कंपनी के एक प्रोजेक्ट में 261 फ्लैट दिए गए और वह भी दूसरे लोगों के दी गई कीमत से 46 फीसदी कम कीमत पर। अंग्रेजी के अखबार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में छपी ऑडिट रिपोर्ट में पूरी टाइमलाइन दी गई है। किस तरह से जुलाई 2010 में एक कंपनी बनी और उसके साथ आनंद कुमार व उनकी पत्नी का दो लाख वर्गफीट एरिया लेने का करार हुआ और उसके बाद कंपनी को 24.74 एकड़ जमीन आवंटित हुई। जिस रेट पर आनंद कुमार और विचित्र लता को फ्लैट मिला और जिस कीमत पर बाकी लोगों को फ्लैट आवंटित हुए वह भी बताया गया है। उनकी ओर से दिया गया पैसा भी निवेश के तौर पर नहीं दिखाया गया। इतना ही नहीं इन दोनों को कई फ्लैट ऐसे आवंटित किए गए, जो दूसरे लोगों को आवंटित हैं। कुल मिला कर यह सीबीआई और ईडी दोनों की जांच का मुद्दा बनता है। मायावती जांच से बचने और अपने परिवार को बचाने के लिए क्या करती हैं, यह देखने वाली बात होगी।