मेघालय में कांग्रेस पार्टी फिर टूट गई। उसके चार में से तीन विधायक सत्तारूढ़ नेशनल पीपुल्स पार्टी यानी एनपीपी में शामिल हो गए हैं। इस तरह एनपीपी ने अपने दम पर बहुमत हासिल कर लिया है। 60 सदस्यों की विधानसभा में एनपीपी के 28 विधायक थे और कोनरेड संगमा की सरकार यूडीपी के 12 व भाजपा के दो विधायकों के समर्थन से बनी थी। सत्तारूढ़ गठबंधन में एचएसपीडीपी के दो विधायक और दो निर्दलीय विधायक भी शामिल थे। अब एनपीपी के विधायकों की संख्या 31 हो गई है।
गौरतलब है कि पिछली विधानसभा में भी कांग्रेस पार्टी टूटी थी। तब कांग्रेस विधायक दल के नेता मुकुल संगमा पार्टी के एक दर्जन विधायकों को साथ लेकर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे। पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में तृणमूल ने पांच और कांग्रेस ने चार सीटों पर जीत हासिल की। अब कांग्रेस के तीन विधायक टूट गए। उसका सिर्फ एक विधायक बचा है। अब सवाल है कि क्या तृणमूल कांग्रेस पार्टी बचेगी? उसके पांच विधायक कब तक बचे रहते हैं, यह देखने वाली बात होगी। पूर्वोत्तर में आमतौर पर विपक्ष में कोई बचता नहीं है। सब सरकार में शामिल हो जाते हैं। जैसे इस साल हुए चुनाव में सिक्किम में विपक्ष में जीता एकमात्र विधायक भी सरकार में शामिल हो गया। वहां अब कोई विपक्ष नहीं है। मेघालय में 10 विधायक बचे हैं विपक्ष में। देखना है कि कब तक बचे रहते हैं।