देश का हर राज्य या उसका कोई शहर किसी न किसी चीज के लिए विख्यात या कुख्यात होता है। जैसे बिहार बाहुबलियों, रंगदारी वसूलने या अपहरण उद्योग के लिए कुख्यात रहा। इसे लेकर कई फिल्में बनीं। झारखंड का जामताड़ा साइबर फ्रॉड की राजधानी बना हुआ है। इस पर भी सीरिज बनी। राजधानी दिल्ली गैंगेस्टर्स और शूटर्स की राजधानी हो गई है। मुंबई गैंगवार और संगठित अपराध की राजधानी रही है। इस पर भी कई फिल्में बनी हैं। उसी तरह गुजरात अब ठगी की राजधानी के तौर पर उभर रहा है। शेयर बाजार के फ्रॉड या बैंकिंग फ्रॉड में तो पहले से वहां के कारोबारियों के नाम आते रहे हैं और पिछले कुछ दिनों से गुजरात के समुद्र तट पर जिस अनुपात में ड्रग्स पकड़े जा रहे हैं उससे देश के ड्रग कैपिटल के तौर पर भी गुजरात उभर रहा है। लेकिन इसके अलावा जैसी ठगी और लूट की कहानियां सामने आ रही हैं उनसे वहां के ठगों की बिल्कुल अलग ही प्रतिभा दिखाई दे रही है।
सबसे ताजा मामला आयुष्मान अहमदाबाद के ख्याति मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल का है। इस अस्पताल ने आयुष्मान भारत योजना के तहत पैसे ऐंठने के लिए सात बिल्कुल स्वस्थ लोगों की एंजियोप्लास्टी कर दी। इनमें से दो लोगों की मौत हो गई और चार की हालत खराब है। असल में अस्पताल में मेहसाणा में एक कैंप लगाया और 19 लोगों को दिल की बीमारी बता दी। फिर कहा कि जिनके पास आयुष्मान कार्ड है उनका मुफ्त में इलाज होगा। ऐसे सात लोगों की एंजियोग्राफी करके उनकी एंजियोप्लास्टी कर दी। ये सारेर ऑपरेशन चार घंटे के अंदर हो गए। बताया जा रहा है कि इस अस्पताल ने पिछले छह महीने में साढ़े तीन सौ से ज्यादा एंजियोग्राफी की है। यह व्यवस्थित तरीके से आयुष्मान भारत योजना में ठगी का मामला है।
इससे पहले पिछले ही महीने राजधानी गांधीनगर में एक नकली कोर्ट और नकली मजिस्ट्रेट का खुलासा हुआ। देश में अपनी तरह का यह पहला मामला था। एक व्यक्ति ने गांधीनगर में नकली कोर्ट बना रखी थी, जिसमें वह मजिस्ट्रेट बन कर बैठता था और उसके साथी वकील के रूप में पेश होते थे। हैरानी यह है कि उसने नौ मुकदमों का फैसला भी किया था। वह ट्रिब्यूनल के अधिकारी के रूप में मुकदमे सुनता थी और आदेश पारित करता था। अब वह पकड़ा गया है और जेल में है। इससे पहले गुजरात में पिछले दिनों एनएच 27 पर एक नकली टोल प्लाजा पकड़ा गया था। वांकानेर को मोरबी और कांडला और मुंद्रा जैसे बड़े बंदरगाहों से जोड़ने वाली हाईवे पर एक नकली टोल प्लाजा चल रहा था। पास के गांव के सरपंच और कुछ अन्य लोगों ने अपना फर्जी टोल प्लाजा लगा रखा था, जहां गाड़ियों से टोल वसूला जाता थी। चार लोग इस सिलसिले में पकड़े गए हैं।
फर्जीवाड़े की इस कड़ी में एक और दिलचस्प मामला यह है कि एक पूर्व आईएएस अधिकारी ने गुजरात के छोटा उदेपुर में सिंचाई विभाग का एक फर्जी कार्यालय खोल लिया था। वहां से जिले से ट्राइबल सब प्लान के पैसे का घोटाला किया जा रहा था। अंदाजा है कि सिंचाई विभाग के उस फर्जी कार्यालय से गुजरात सरकार को करीब 40 करोड़ रुपए का चूना लगा। गुजरात का एक व्यक्ति किरण पटेल कैसे प्रधानमंत्री कार्यालय का फर्जी कर्मचारी बन कर जम्मू कश्मीर पहुंच गया था और सेना के अति संवेदनशील ठिकानों के दौरे कर रहा था, जिसे बाद में गिरफ्तार किया गया। इसी तरह संजय शेरपुरिया भी गुजरात से दिल्ली तक अपने को प्रधानमंत्री कार्यालय का करीबी बता कर ठगी करता हुआ पकड़ा गया। बहरहाल, ठगी सब जगह चलती है लेकिन फर्जी टोल प्लाजा बनाना, सिंचाई विभाग का फर्जी कार्यालय खोलना, फर्जी कोर्ट बनाना आदि तो अलग ही स्तर की प्रतिभा, मेधा और उद्यमशीलता की मिसालें हैं।