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भाजपा नेताओं की बेचैनी बढ़ी

एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की बेचैनी बढ़ गई है। बुधवार की रात को प्रधानमंत्री आवास पर पार्टी के शीर्ष नेताओं की एक बैठक हुई, जिसके बाद से भाजपा संगठन में और नरेंद्र मोदी की सरकार में बदलाव की अटकलें तेज हो गई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बुधवार को हुई बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महासचिव बीएल संतोष शामिल हुए। यह बैठक पांच घंटे चली। बताया जा रहा है कि इसमें संगठन में संभावित बदलाव, सरकार में फेरबदल और राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के बारे में चर्चा हुई।

अब सवाल है कि क्या जल्दी ही भाजपा के संगठन और मोदी सरकार में बदलाव होने जा रहा है? प्रधानमंत्री आवास पर हुई बैठक के आधार पर ऐसा नहीं कहा जा सकता है। पिछले नौ साल में जिन लोगों ने भी भाजपा की राजनीति को करीब से देखा है वे जानते हैं कि किसी भी फेरबदल से पहले इस तरह का ऐलान नहीं होता है। डंका बजा कर वहां बदलाव नहीं होता है। यह पहले होता था लेकिन नौ साल में सारी प्रक्रिया बदल गई है। जब बदलाव होना होता है तब हो जाता है और किसी को पता नहीं चलता है।

भारतीय जनता पार्टी के नेता खुद कहते हैं कि संगठन या सरकार में क्या बदलाव होना है यह सिर्फ दो लोग यानी नरेंद्र मोदी और अमित शाह को पता होता है। इसलिए यह मानना थोड़ा मुश्किल है कि प्रधानमंत्री मोदी इस तरह से पंचायत बैठा कर बदलाव के बारे में विचार करेंगे। ध्यान रहे पिछले दिनों अमित शाह, नड्डा और संतोष ने राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के अरुण कुमार के साथ भी बैठक की थी। अरुण कुमार भाजपा और संघ के बीच समन्वय का काम देखते हैं। उन्होंने भाजपा के तीन शीर्ष नेताओं के साथ जमीनी फीडबैक शेयर किया था। तब भी खबर आई थी कि जल्दी ही सरकार और संगठन में बदलाव हो सकता है। लेकिन अब उस मीटिंग के भी एक महीने होने जा रहे हैं।

बहरहाल, प्रधानमंत्री के साथ भाजपा के बाकी शीर्ष नेताओं की बैठक संगठन के कामकाज से जुड़ी हो सकती है और यह भी संभव है कि इसमें राज्यों में होने वाले चुनाव को लेकर चर्चा हुई हो। लेकिन इसकी संभावना कम है कि संगठन और सरकार में बदलाव के बारे में फैसला इस बैठक में हुआ हो। हालांकि इसका यह मतलब नहीं है कि सरकार और संगठन में बदलाव नहीं होगा। संभव है कि जल्दी ही भाजपा कुछ राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्त करे और नड्डा के संगठन में भी नए पदाधिकारी बनाए जाएं। कुछ प्रभारियों की नियुक्ति की भी चर्चा है और नरेंद्र मोदी सरकार में भी फेरबदल हो सकता है। उसका फैसला पंचायत बैठा कर नहीं किया गया होगा। मोदी और शाह अपनी रणनीति के हिसाब से बदलाव करेंगे।

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