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क्या मोदी के मंत्री बनेंगे शरद पवार?

सचमुच क्या भाजपा की ओर से शरद पवार को केंद्र में मंत्री पद का प्रस्ताव दिया गया है? कांग्रेस के एक बड़े नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री के हवाले से खबर आई है कि पिछले शनिवार यानी 12 अगस्त को पुणे में जब शरद और अजित पवार की मुलाकात हुई तो उसमें अजित पवार की ओर से अपने चाचा के सामने यह प्रस्ताव पेश किया गया है। खबर के मुताबिक अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार से कहा कि वे भाजपा के साथ आ जाएं तो केंद्र में उनको कृषि मंत्री बनाया जाएगा। इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि अजित पवार ने सुप्रिया सुले और जयंत पाटिल को भी केंद्र में राज्य मंत्री बनाए जाने का प्रस्ताव रखा।

बताया जा रहा है कि एनसीपी के संस्थापक और दिग्गज मराठा नेता शरद पवार ने अजित पवार के मार्फत भाजपा की ओर से भेजे गए प्रस्ताव को ठुकरा दिया। उन्होंने कहा कि वे भाजपा के साथ नहीं जाएंगे। इस प्रस्ताव को लेकर जिस तरह से खबर आई है उससे संशय पैदा होता है। यह किसी प्लान का हिस्सा लगता है और भले कांग्रेस के ही नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ने यह खबर मीडिया में दी है लेकिन कांग्रेस के लोगों को भी इस खबर पर यकीन पर नहीं है। उनका कहना है कि पवार चाचा-भतीजे की मुलाकात के बाद जैसा विवाद हुआ है उस पर पानी डालने के लिए यह खबर प्लांट की गई है।

ऐसा मानने की वजह यह है कि कोई भी बड़ा राजनीतिक खेल इस तरह टुकड़ों टुकड़ों में नहीं होता है। अगर उस राजनीतिक खेल में शरद पवार जैसा खिलाड़ी शामिल हो तो एडहॉक कुछ भी नहीं होता है। दूसरा कारण यह है कि शरद पवार अगर भाजपा के साथ जाकर केंद्र में मंत्री बनना चाहेंगे तो उनको अजित पवार के जरिए भाजपा से बात करने की जरूरत नहीं है। वे सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात कर सकते हैं। कुछ समय पहले ही दिल्ली में वे प्रधानमंत्री से मिलने गए थे। इसलिए मंत्री पद के लिए प्रस्ताव वाली बात किसी योजना का हिस्सा लगती है।

इस खबर से शरद पवार को दो फायदे होते हैं। पहला फायदा तो यह है कि पुणे में अजित पवार के साथ हुई उनकी मुलाकात के बाद उनको लेकर जो संदेह पैदा हुआ है वह खत्म होगा। उनको और उनकी पार्टी के नेताओं को यह कहने का मौका मिलेगा कि शरद पवार को केंद्र में मंत्री पद का ऑफर मिला था, जिसे ठुकरा कर वे विपक्षी पार्टियों के गठबंधन ‘इंडिया’ के साथ हैं। दूसरा फायदा यह है कि एनसीपी में हुई टूट को लेकर जो संदेह है और कहा जा रहा है कि शरद पवार ने खुद यह खेल रचा है, उन्होंने जान बूझकर अजित पवार और अपने कुछ समर्थकों को भाजपा में भेज दिया है, वे दो नावों की सवारी कर रहे हैं या दोनों तरफ के ऑप्शन खुले रखना चाहते हैं उसमें भी शरद पवार को क्लीन चिट मिलेगी। उनकी ओर से कहा जाएगा कि भतीजे ने उनकी इच्छा के विरुद्ध जाकर राज्य की शिव सेना व भाजपा की सरकार ज्वाइन की है। मुंबई में 31 अगस्त और एक सितंबर को होने वाली ‘इंडिया’ की बैठक से पहले पवार को अपने पर से संदेह मिटाना जरूरी है।

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