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भागवत ने 75 की सीमा 80 तक बढ़ाई

राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ, आरएसएस के शताब्दी समारोह की शुरुआत हो गई है। राजधानी दिल्ली के विज्ञान भवन में तीन दिन का संवाद कार्यक्रम हुआ है। अब ऐसे ही कार्यक्रम बेंगलुरू, मुंबई आदि महानगरों में होंगे। पता नहीं गांवों में ऐसे संवाद होने हैं या नहीं लेकिन शहरों और महानगरों में कई कार्यक्रम हो रहे हैं। दिल्ली के पहले कार्यक्रम में ही कई अहम मुद्दों पर संघ ने अपनी राय स्पष्ट कर दी। आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने सार्वजनिक और राजनीतिक जीवन से संन्यास की उम्र सीमा 75 साल से बढ़ा कर 80 साल कर दी है। इसके साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया कि उन्होंने कभी नहीं कहा कि उनको या किसी और को (मतलब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को) 75 साल की उम्र में रिटाय़र हो जाना चाहिए।

ठीक है कि उनके बिल्कुल यही शब्द नहीं थे कि किसी को 75 साल की उम्र पर रिटायर हो जाना चाहिए। लेकिन उन्होंने कुछ दिन पहले एक कार्यक्रम में कहा था कि अगर आपको 75 साल की शॉल ओढ़ा दी जाए तो इसका मतलब है कि आपको दूसरे लोगों के लिए जगह खाली कर देनी चाहिए। इसका क्या अर्थ है? इसका अर्थ वही है, जो देश के लोगों ने समझा था लेकिन अब संघ प्रमुख का कहना है कि उनका अर्थ वह नहीं था, जो देश के लोगों ने समझा था। भागवत ने कहा कि उन्होंने 75 साल पूरे करने पर किसी को रिटायर होने के लिए नहीं कहा है। इसके बाद उन्होंने अपने लिए कहा कि वे 80 साल की उम्र तक शाखा  लगाते रहेंगे। इसका मतलब है कि 80 साल की उम्र तक सार्वजनिक जीवन में रहेंगे और संघ का काम करते रहेंगे, चाहे किसी भी हैसियत में रहें। तो यह तय हो गया कि अब रिटायरमेंट की नई उम्र सीमा कम से कम 80 वर्ष है। इसका यह भी अर्थ है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 80 साल यानी 2030 के सितंबर तक तो पद पर रह ही सकते हैं।

ध्यान रहे प्रधानमंत्री के नजदीकी लोग इसी के आसपास की सीमा दे रहे हैं। उनका कहना है कि वर्ष 2031 में किसी समय नरेंद्र मोदी सबसे ज्यादा समय तक प्रधानमंत्री रहने का पंडित जवाहर लाल नेहरू का रिकॉर्ड तोड़ देंगे। उसके बाद ही वे रिटायर होंगे। गौरतलब है कि मोदी ने लगातार तीन बार लोकसभा चुनाव जीत कर प्रधानमंत्री बनने के नेहरू के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली है। अगर 2029 में वे चौथी बार जीतते हैं तो यह एक नया रिकॉर्ड होगा, जिसे शायद कोई नहीं तोड़ पाए। आखिर नेहरू का रिकॉर्ड टूटने में भी छह दशक लगे हैं। इसके बाद 16 साल प्रधानमंत्री रहने का इंदिरा गांधी का रिकॉर्ड है, जो 2030 में और फिर 17 साल प्रधानमंत्री रहने का पंडित नेहरू का रिकॉर्ड तोड़ना बाकी रह गया है। तभी रिटायरमेंट की उम्र को लेकर इतनी चर्चा हुई। भाजपा के एक सांसद ने याद दिलाया कि ऐसा  कोई नियम पार्टी में नहीं है और लालकृष्ण आडवाणी 89 साल की उम्र तक सासंद रहे थे। एक राइटविंग लेखक ने प्रधानमंत्री मोदी के लिए 84 साल की उम्र तक यानी 2034 तक प्रधानमंत्री रहने की भविष्यवाणी की है और जरुरत भी बताई है। इसमें एक बाधा संघ की बताई जा रही थी। हालांकि वह भी वास्तविक नहीं थी। लेकिन अब वह बाधा भी दूर हो गई है। संघ प्रमुख ने खुद ही 80 साल की सीमा बना दी है, जिसको आगे बढ़ाया जाना बड़ी बात नहीं होगी।

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