संसद के मानसून सत्र में वैसे तो सरकार ने 31 बिल पेश करने और पास कराने के लिए सूचीबद्ध किया है लेकिन सबकी नजर दिल्ली सरकार को लेकर जारी अध्यादेश को कानून बनाने वाले विधेयक पर है। इस विधेयक को रोकने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बड़ी मेहनत की है। उन्होंने पूरे देश का दौरा किया और सभी विपक्षी पार्टियों को इस अध्यादेश का विरोध करने के लिए एकजुट किया। कांग्रेस पार्टी ने मई में जब यह अध्यादेश आया था तब अपना रुख साफ नहीं किया था। लेकिन अब कांग्रेस भी इसका विरोध करने को तैयार हो गई है। सो, अब सरकार और विपक्ष के बीच आमने-सामने का मुकाबला है।
पहली नजर में ऐसा लग रहा है कि सरकार को यह विधेयक पास कराने में कोई दिक्कत नहीं होगी। राज्यसभा में भाजपा के सदस्यों की संख्या लगातार बढ़ रही है। पश्चिम बंगाल में एक नई सीट जीतने के बाद उसके अपने सांसदों की संख्या 92 हो गई है। इसके अलावा भाजपा की सहयोगी पार्टियों को मिला कर उसके 110 सांसद बनते हैं। राज्यसभा में बहुमत का आंकडा 123 वोट का है। इस लिहाज से भाजपा को बिल पास पास कराने के लिए 13 अतिरिक्त वोट का इंतजाम करना होगा। यह स्थिति तब है, जब उच्च सदन के सारे सदस्य हाजिर रहें और मतदान में हिस्सा लें। अभी तक सिर्फ बहुजन समाज पार्टी ने कहा है कि वह इस पर बहस या मतदान में हिस्सा नहीं लेगी। लेकिन इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि उच्च सदन में उसका सिर्फ एक सदस्य है।
इस स्थिति में अब दो पार्टियों वाईएसआर कांग्रेस और बीजू जनता दल की पूछ बढ़ गई है। राज्यसभा में इन दोनों पार्टियों के नौ नौ सदस्य हैं। अगर ये दोनों पार्टियां सरकार का समर्थन करती हैं तो सरकार के पक्ष में आसानी से 128 सांसद हो जाएंगे और बिल पास हो जाएगा। अगर ये दोनों पार्टियां सदन से वाकआउट कर जाती हैं तब भी सरकार को आसानी हो जाएगी। हालांकि ज्यादा संभावना इस बात की है कि अब तक मुद्दों पर आधारित सरकार को समर्थन देती रहीं ये दोनों पार्टियां सरकार का साथ देंगी।
लेकिन सरकार को इनका समर्थन हासिल करने के लिए कुछ प्रयास करना होगा। भाजपा के नेता आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी के साथ तालमेल की कोशिश कर रही हैं। उनको 20 जुलाई को हुई एनडीए की बैठक में बुलाया जाना था लेकिन बताया जा रहा है कि इस अध्यादेश पर जगन मोहन रेड्डी के समर्थन की जरूरत को देखते हुए नायडू को नहीं बुलाया गया। अभी उनका मामला थोड़े समय तक ठंडे बस्ते में रहेगा। बताया जा रहा है कि समर्थन के लिए जगन मोहन और नवीन पटनायक दोनों से खुद नरेंद्र मोदी या अमित शाह को बात करनी होगी।