nayaindia Caste Census जाति गणना को ट्विस्ट देने की कोशिश
Narendra Modi

जाति गणना को ट्विस्ट देने की कोशिश

ByNI Political,
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बिहार में जाति गणना के आंकड़े सार्वजनिक होने के बाद से भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों के नेता परेशान हैं। उनको इसकी काट खोजनी है। तभी बिहार में भाजपा के नेता किसी तरह से इसका श्रेय लेने में जुटे हैं तो दूसरी ओर इसमें कमी भी निकाल रहे हैं। सुशील मोदी ने कहा कि जाति गणना का फैसला जिस समय हुआ उस समय भाजपा सरकार में शामिल थी और उसने इसकी मंजूरी दी थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बुलाई सर्वदलीय बैठक में शामिल हुए भाजपा नेता हरि सहनी ने कहा कि कई जातियों की उपजातियों की अलग गिनती हुई है, जो गलत है। भाजपा के सहयोगी चिराग पासवान ने कहा कि यह पूरा सर्वे गलत है तो केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि यह राज्य की जनता को भ्रम में डालने वाला है।

उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे दूसरा ट्विस्ट देने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने तीन चार तरह से इसे ट्विस्ट देने की कोशिश की। पहली कोशिश सोमवार को आंकड़ा आने का साढ़े तीन घंटे बाद ग्वालियर की सभा में दिया, जहां उन्होंने कहा कि कांग्रेस पहले भी जात-पात के नाम पर देश को बांटने का काम करती थी और आज भी वही पाप कर रही है। इसके अगले दिन यानी मंगलवार को छत्तीसगढ़ में उन्होंने इसे दूसरा ट्विस्ट देते हुए कहा कि उनके लिए सबसे बड़ी आबादी यानी जाति गरीब की है और गरीब के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसका मतलब है कि भाजपा के लिए यह अहम नहीं है कि किस जाति की आबादी कितनी बड़ी है वह गरीब को सबसे बड़ी आबादी मानती है।

प्रधानमंत्री ने तीसरा ट्विस्ट देते हुए कांग्रेस के अल्पसंख्यक वोट को निशाना बनाया। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के एक बयान का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला कह अल्पसंख्यकों का है। हालांकि कांग्रेस इससे इनकार करती है। पर प्रधानमंत्री ने कहा कि अब राहुल गांधी कह रहे हैं कि जिसकी जितनी आबादी उतना हक, जबकि मनमोहन सिंह ने अल्पसंख्यकों का पहला हक बताया था। इसके बाद उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि तो क्या कांग्रेस अल्पसंख्यकों को छोड़ने जा रही है? इसी क्रम में उन्होंने यह भी कहा कि अगर जिसकी जितनी आबादी उतना हक है तो क्या हिंदू आगे बढ़ कर सब पर हक ले लें?

हालांकि इसमें राजनीति ज्यादा है और तर्क कम है। प्रधानमंत्री एक तरह से 80 और 20 वाले फॉर्मूले का परोक्ष रूप से जिक्र कर रहे थे। अगर राहुल के हिसाब से आबादी के अनुपात में सबको हक मिलेगा तो स्वाभाविक रूप से 80 फीसदी हिंदुओं का हक 80 फीसदी संसाधनों पर होगा ही। इसलिए राहुल के बयान में कोई विरोधाभास नहीं है लेकिन प्रधानमंत्री ने भाजपा के हिंदू वोट को ध्यान में रखते हुए एक ट्विस्ट दिया। इसके बाद एक ट्विस्ट उन्होंने उत्तर और दक्षिण का भी दिया, जब कहा कि आबादी के अनुपात में हक की बात से दक्षिण का हितों का क्या होगा? इसमें भी तर्क से ज्यादा राजनीति है क्योंकि खुद नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार आबादी के हिसाब से उत्तर भारत के राज्यों को ज्यादा फंड दे रही है और दक्षिण के राज्यों को कम।

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