विपक्षी गठबंधन ने 18 जुलाई की बेंगलुरू में हुई बैठक में तय किया था उसका नाम इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस यानी ‘इंडिया’ होगा। उसके बाद दो हफ्ते से भी कम समय में यह नाम लोगों की जुबान पर चढ़ गया है और इसका श्रेय जाता है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी के नेताओं को। प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्षी गठबंधन को लेकर पिछले 10-12 दिन में इतने बयान दिए हैं, जितने खुद गठबंधन के नेताओं ने नहीं दिए। उन्होंने भाजपा के संसदीय बोर्ड की बैठक में ‘इंडिया’ को लेकर तीखे बयान दिए और उसे ईस्ट इंडिया कंपनी, इंडियन मुजाहिदीन और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया से जोड़ा। उन्होंने यह बात राजस्थान के सीकर की रैली में भी दोहराई। अभी संसद का सत्र चल रहा है और इस दौरान पार्टी के सारे नेता विपक्षी गठबंधन पर हमला करने के लिए उन्हीं जुमलों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिनका इस्तेमाल प्रधानमंत्री ने किया था।
संसदीय बोर्ड में उनके बयान के बाद जैसे भाजपा नेताओं को इस बात का लाइसेंस मिल गया कि वे विपक्षी गठबंधन को बदनाम करने के लिए कुछ भी कहें। ‘इंडिया’ नाम रखे जाने के तुरंत बाद हिमंत बिस्वा सरमा ने अपना बायो बदला था। उसके बाद से भाजपा के सारे नेता इस नाम को निशाना बना रहे हैं, जिससे अपने आप इसका प्रचार हो रहा है। आखिर बैड पब्लिसिटी भी पब्लिसिटी होती है। सो, विपक्षी नेता गदगद हैं कि उनका तीर निशाने पर लगा है। बहरहाल, अब जाकर भाजपा नेताओं को समझ में आया है कि वे तो विपक्षी गठबंधन का प्रचार कर रहे हैं तो कहा जा रहा है कि अब ‘इंडिया’ को निशाना नहीं बनाया जाएगा। जानकार सूत्रों का कहना है कि ‘इंडिया’ की बजाय सीधे विपक्ष कह कर निशाना साधेगा। ऐसा लग रहा है कि भाजपा नेताओं को यह बात समझ में आई है कि ‘इंडिया’ भले विपक्षी गठबंधन का नाम है पर इसे बदनाम करने का नुकसान ज्यादा हो रहा है।