कर्नाटक में भाजपा के बुरी तरह से हारने के बाद क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य के अपने नेताओं से नाराज हैं? चुनाव नतीजे के साढ़े तीन महीने बाद भी राज्य के बारे में कोई फैसला नहीं हुआ है। विधायक दल का नेता नहीं चुना गया है और न नए प्रदेश अध्यक्ष का फैसला हुआ है। इस बीच चुनाव के बाद पहली बार प्रधानमंत्री मोदी कर्नाटक पहुंचे तो उन्होंने अपनी पार्टी के किसी नेता से मिलना जरूरी नहीं समझा। भाजपा के प्रदेश नेता तैयारी में थे कि प्रधानमंत्री से मिलना है लेकिन किसी की मुलाकात नहीं हुई। यहां तक कि समूह में भी भाजपा के नेता नहीं मिल सके और न हवाईअड्डे पर उनका स्वागत करने का मौका प्रदेश भाजपा के नेताओं को मिला। इसी से अंदाजा लगाया जा रहा है कि वे पार्टी नेताओं के अंदरूनी झगड़े की वजह से नाराज हैं।
बहरहाल, प्रधानमंत्री दक्षिण अफ्रीका के बाद यूनान के दौरे पर गए थे वहां से सीधे बेंगलुरू पहुंचे थे। प्रधानमंत्री का कार्यक्रम पहले से तय हो गया था कि वे यूनान से लौटेंगे तो दिल्ली आने की बजाय पहले बेंगलुरू जाएंगे और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो के कमांड सेंटर में जाकर चंद्रयान-तीन से जुड़े वैज्ञानिकों से मुलाकात करेंगे। सो, भाजपा के नेता अपनी तैयारी में लग गए। हवाईअड्डे पर प्रधानमंत्री का स्वागत करने वाले नेताओं के नाम तय किए जाने लगे। लेकिन बाद में बताया गया कि इस तरह का कोई कार्यक्रम नहीं होना है। प्रधानमंत्री शनिवार को सुबह साढ़े सात बजे बेंगलुरू पहुंचे और रोड शो करते हुए इसरो के कमांड सेंटर में गए। इस दौरान भाजपा के बड़े नेता भी सड़क के किनारे जनता के बीच खड़े रहे। पूर्व उप मुख्यमंत्री आर अशोक और प्रदेश अध्यक्ष नलिन कुमार कतिल भी भीड़ में खड़े थे। इस पर तंज करते हुए कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री ने प्रदेश के नेताओं को उनकी जगह बता दी। जवाब में भाजपा नेताओं ने कहा कि उनको जनता के बीच खड़े होने में कोई शर्म नहीं है।