प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्षी पार्टियों के साथ साथ देश के मतदाताओं के साथ भी माइंड गेम खेल रहे हैं। वे बार बार यह बता रहे हैं कि अगले साल के लोकसभा चुनाव का नतीजा पहले से तय है। विपक्षी पार्टियां कुछ भी कर लें वे भाजपा और मोदी को नहीं हरा पाएंगी। प्रधानमंत्री ने यह बात सबसे पहले स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से कही थी। उन्होंने पूरे आत्मविश्वास के साथ कहा था कि वे अगले साल भी लाल किले से झंडा फहराएंगे। उन्होंने एक बार भी यह नहीं कहा कि उनके दूसरे कार्यकाल का आखिरी मौका है, जब वे लाल किले से झंडा फहरा रहे हैं। इसकी बजाय उन्होंने खम ठोक कर कहा कि अगले साल भी झंडा फहराएंगे। यह एक मनोवैज्ञानिक दांव था, जिसका असर मतदाताओं के दिल-दिमाग पर हुआ होगा और विपक्षी पार्टियों के नेताओं व कार्यकर्ताओं पर भी हुआ होगा।
इसके बाद शनिवार को प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली के प्रगति मैदान में भारत मंडपम में आयोजित संकल्प शपथ समारोह में आकांक्षी जिलों और प्रखंडों से जुड़े एक कार्यक्रम में शामिल हुए तो उन्होंने वहां भी कहा कि एक साल बाद यानी अगले साल इसी दिन वे इस योजना की समीक्षा करेंगे और इसका ब्योरा पेश करेंगे। सोचें, किस तरह से प्रधानमंत्री विपक्षी पार्टियों के नेताओं के दिमाग से खेल रहे हैं। हालांकि बहुदलीय राजनीतिक व्यवस्था में चुनाव नतीजे आने तक कोई भी पार्टी या नेता पूरे भरोसे से नहीं कह सकता है कि क्या नतीजा आने वाला है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी अगले साल भी लाल किले से झंडा फहराने और एक साल बाद योजनाओं की समीक्षा करने का दावा ऐसे कर रहे हैं, जैसे उनको नतीजे का पता हो। याद करें कैसे 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ के एक कार्यक्रम में लाल किले की बैकग्राउंड वाले मंच से भाषण दिया था। तब विपक्षी पार्टियां उनका मजाक उड़ा रही थीं लेकिन चार महीने बाद ही वे लाल किले से झंडा फहरा रहे थे।