प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्या अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे? यह लाख टके का सवाल है, जिसका जवाब सिर्फ मोदी को मालूम है। लेकिन केंद्र में मंत्री बनने की आस लगाए भाजपा और सहयोगी पार्टियों के कई नेता उम्मीद कर रहे हैं कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार होगा। पहले कहा जा रहा था कि तीन दिसंबर को नतीजे आने और 14 दिसंबर को मलमास शुरू होने के बीच किसी दिन विस्तार हो सकता है। हालांकि चार दिसंबर से संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत होनी है। इसलिए सत्र के बीच मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना नहीं है।
तभी 14 जनवरी के बाद की तारीख भी बताई जा रही है। पर उसमें भी मुश्किल यह है कि मकर संक्रांति तुरंत बाद अयोध्या में राममंदिर के शिलान्यास का कार्यक्रम शुरू हो जाएगा। राष्ट्रीय स्वंय संघ और भाजपा पूरे देश में झांकी सजाने की तैयारी कर रहे हैं। कहा गया है कि जो अयोध्या नहीं पहुंच सकते हैं वे अपने गांव, शहर, कस्बे में अयोध्या सजाएं। 22 जनवरी को रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। उसके बाद भी दो दिन तक यह कार्यक्रम चलेगा और उसके बाद 26 जनवरी की धूम रहेगी। इस बार भारत ने फिर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया है। सो, प्रधानमंत्री मोदी ने इनमें से किसी आयोजन से ध्यान नहीं भटकने देंगे। तभी कहा जा रहा है कि या तो तीन दिसंबर के पहले ही फेरबदल हो जाए या 26 जनवरी तक इंतजार किया जाए।
इसमें यह सवाल भी उठाया जा रहा है कि 26 जनवरी के तुरंत बाद बजट सत्र शुरू हो जाएगा। एक फरवरी को लेखानुदान पेश किया जाएगा। उसके बाद चुनाव की घोषणा होनी है। मार्च में किसी समय लोकसभा चुनाव की घोषणा हो जाएगी। ऐसे में जनवरी में मंत्रिमंडल में फेरबदल का क्या मतलब रह जाएगा? हालांकि मंत्री बनने की उम्मीद लगाए नेता आस नहीं छोड़ रहे हैं। एक नेता ने मध्य प्रदेश का उदाहरण दिया, जहां चुनाव की घोषणा से डेढ़ महीने पहले शिवराज सिंह चौहान की सरकार में फेरबदल हुई। यहां तक कि भाजपा ने मध्य प्रदेश चुनाव के लिए उम्मीदवारों की घोषणा करने के बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल किया। मध्य प्रदेश के लिए भाजपा ने उम्मीदवारों की पहली सूची 17 अगस्त को जारी की थी। इसके कोई 10 दिन बाद 26 अगस्त को शिवराज सिंह की सरकार में तीन मंत्री शामिल किए गए।
सवाल है कि क्या ऐसा कुछ केंद्र सरकार में भी हो सकता है? इसके लिए कई जानकार तीन दिसंबर तक इंतजार करने की बात कर रहे हैं। उनका कहना है कि पांच राज्यों के चुनाव नतीजों के बाद इस बारे में फैसला होगा। अगर भाजपा उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाती है तो प्रधानमंत्री मोदी के ऊपर दबाव होगा कि वे राज्यों में सामाजिक समीकरण ठीक करने के लिए कुछ नए चेहरे शामिल करें। ध्यान रहे इस बार पांच राज्यों का चुनाव भी मोदी के चेहरे पर लड़ा जा रहा है इसलिए नतीजों को उनके लिए जनादेश माना जाएगा। तभी इन नतीजों से बहुत कुछ तय होने की बात कही जा रही है।