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तमिल के बाद अब मराठा प्रतीक!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रतीकों के इस्तेमाल में माहिर हैं। उन्होंने संसद भवन की नई इमारत का उद्घाटन किया तो तमिलनाडु के पवित्र धार्मिक प्रतीक शेंगोल को स्पीकर के आसन के बगल में स्थापित किया। यह एक धर्मदंड है, जो न्याय का प्रतीक है। इसे स्थापित करने के बाद भाजपा के नेताओं ने तमिल अस्मिता और संस्कृति को महत्व देने का प्रचार शुरू किया और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसी आधार पर तमिलनाडु के लोगों से कहा कि वे प्रधानमंत्री मोदी को आभार स्वरूप राज्य की 25 लोकसभा सीटें जिताएं। मोदी ने शेंगोल स्थापित करने के साथ साथ अपने एक विदेश दौरे में यह भी कहा कि तमिल दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा है। काशी-तमिल संगम तो चल ही रहा है।

उसके बाद अब गणेश भगवान के मराठा प्रतीक का इस्तेमाल हो रहा है। वैसे तो भगवान गणेश को पूरे देश के हिंदू समाज में प्रथम पूजनीय माना जाता है। लेकिन महाराष्ट्र में गणेश पूजन और उत्सव की ऐतिहासिक परंपरा रही है। समूचे महाराष्ट्र में अभी से गणपति पूजा पंडालों में विराजने लगे हैं। संसद के विशेष सत्र के दूसरे दिन यानी 19 अगस्त को 10 दिन के गणेश उत्सव की शुरुआत होगी और उस दिन नए संसद भवन में कामकाज शुरू होगा। इस तरह सरकार ने नए संसद भवन में प्रवेश के लिए गणेश चतुर्थी के पवित्र दिन का चयन करके महाराष्ट्र के लोगों को बड़ा मैसेज दिया है। यह उनके लिए एक भावनात्मक मामला है। पूरा महाराष्ट्र जिस समय गणेश पूजन शुरू करेगा उस समय संसद की नई इमारत में कामकाज शुरू होगा। इसका प्रचार आगे महाराष्ट्र में जोर-शोर से होगा।

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