विपक्षी पार्टियां ठीक पांच साल के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई हैं। यह बहुत दिलचस्प संयोग है कि पांच साल पहले 2018 में भी जुलाई में ही यानी मानसून सत्र में ही विपक्षी पार्टियां मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थीं। तेलुगू देशम पार्टी ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था, जिसका कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, सपा, राजद, लेफ्ट आदि पार्टियों ने समर्थन किया था। बीजू जनता दल ने वाकआउट किया था। विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ 325 वोट पड़े थे और पक्ष में 126 वोट मिले थे। इस तरह मोदी सरकार ने बड़ी आसानी से बहुमत साबित कर दिया था।
ध्यान रहे वह वही सत्र था, जिसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सदन में भाषण देने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीट पर जाकर उनको गले लगाया था। बहरहाल, वह अविश्वास प्रस्ताव 20 जुलाई को आया था और अब ठीक पांच साल बाद 26 जुलाई को विपक्षी पार्टियों ने फिर से अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। क्या इस तरह से इतिहास अपने को दोहरा रहा है? लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के नौ महीने बाद हुए चुनाव में मोदी पहले से ज्यादा बड़े बहुमत से जीते थे। अब फिर नौ महीने बाद उनको चुनाव में जाना है और उससे पहले विपक्ष उनकी सरकार पर अविश्वास जता रही है!