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मोदी के लिए अविश्वास प्रस्ताव मौका

ऐसा लग रहा है कि विपक्षी पार्टियां अपने बनाए इस नैरेटिव पर सचमुच विश्वास करने लगी हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में बोलने से डर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के बारे में और बहुत सी बातें सही हो सकती हैं लेकिन यह बात कतई सही नहीं है कि वे कहीं भी बोलने से डरते हैं। बोलना तो उनकी आदत में शुमार है और संसद तो उनके लिए खेल का मैदान है। संसद में दिया गया उनका हर भाषण राजनीतिक भाषण होता है, जिसमें वे पूरे देश के लोगों और खास कर अपने समर्थकों को संबोधित करते हैं। हां, यह जरूर है कि कई बार वे अपनी सरकार के मुश्किल में डालने वाले मुद्दों पर चुप रह जाया करते हैं। लेकिन वह एक रणनीति का हिस्सा होता है। रणनीतिक कारणों से ही वे मणिपुर के मसले पर नहीं बोल रहे थे। लेकिन अब अविश्वास प्रस्ताव की मंजूरी में उनको बोलना होगा तो मणिपुर के साथ साथ वे दूसरे तमाम राज्यों की कानून व्यवस्था की स्थिति पर भी बोलेंगे।

वे मणिपुर पर बोलेंगे और वहां की समस्या को भी स्वीकार करेंगे। मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र किए जाने का वीडियो आने के बाद वे इस पर क्रोध और पीड़ा जाहिर कर चुके हैं। इससे ज्यादा क्या करेंगे? सेना और अर्धसैनिक बल वहां अपना काम कर रहे हैं और राज्य सरकार से लेकर भाजपा के आईटी सेल ने यह माहौल बनाया है कि राज्य की एन बीरेन सिंह सरकार ड्रग कार्टेल पर कार्रवाई कर रही है। सरकार की ओर से कहा गया है कि वह कुकी लोगों के खिलाफ नहीं है, बल्कि ड्रग कार्टेल के खिलाफ है। यह भी खबर आई है कि म्यांमार से सात सौ से ज्यादा लोगों ने मणिपुर में घुसपैठ की। सो, जातीय हिंसा का यह मामला हिंदू मैती बनाम कुकी ईसाई का पहले से था और अब ड्रग कार्टेल व अंतरराष्ट्रीय साजिश का भी हो गया है।

अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री इन सारे पहलुओं पर बात रख देंगे और उसके बाद विपक्ष को निशाना बनाएंगे और साथ ही अपनी सरकार की उपलब्धियां बताएंगे। इस साल राज्यों में चुनाव होना वाले हैं और लोकसभा चुनाव का साल भी चल रहा है। पांच साल पहले जुलाई 2018 में भी प्रधानमंत्री ने अविश्वास प्रस्ताव पर लंबा-चौड़ा भाषण दिया था और अपनी उपलब्धियां बताई थीं। तभी भाजपा नेता अविश्वास प्रस्ताव को एक मौके की तरह देख रहे हैं। उनको पता है कि सरकार बहुमत साबित करेगी और उसके साथ विपक्ष के ऊपर मोदी का हमला होगा।

मोदी अपने भाषण में क्या बोलेंगे यह भी लगभग तय दिख रहा है। उनके दो भाषणों से इसके संकेत मिलते हैं। मंगलवार को भाजपा संसदीय दल की बैठक में उन्होंने विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की तुलना देश को लूटने वाली ईस्ट इंडिया कंपनी और देश को गहरे घाव देने वाले आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन से की। उनका दूसरा भाषण बुधवार का था, जो उन्होंने प्रगति मैदान में कन्वेंशन सेंटर के उद्घाटन में दिया, जिसमें फिर चुनाव जीतने का दावा करते हुए कहा कि उनके तीसरे कार्यकाल में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ा अर्थव्यवस्था बन जाएगा। ये दोनों थीम हैं, जिनके ईर्द-गिर्द प्रधानमंत्री का भाषण होगा।

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