राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी के सुप्रीमो शरद पवार तेजी से अपना भरोसा गंवाते जा रहे हैं। उनकी पार्टी का मामला जब तक नहीं सुलझता है तब तक विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के नेता उनको संदेह की नजर से देखते रहेंगे। विपक्ष के एक जानकार नेता का कहना है कि शिव सेना में टूट हुई थी सबने देखा कि कैसे तमाशा हुआ और किस तरह से उद्धव ठाकरे को कमजोर किया गया। उनकी पार्टी में बहुत कम सांसद और विधायक बचे लेकिन स्थिति स्पष्ट रही। शरद पवार की पार्टी में भी टूट हुई है लेकिन तीन महीने से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी स्थिति स्पष्ट नहीं है। न तो स्पीकर कोई कार्रवाई कर रहे हैं और न चुनाव आयोग की ओर से कोई कार्रवाई हो रही है। अब चुनाव आयोग में छह अक्टूबर को एनसीपी के मामले की सुनवाई होनी है। कहा जा रहा है कि एनसीपी के दोनों खेमे उस सुनवाई के लिए अपनी अपनी तैयारी कर रहे हैं।
इस बीच शरद पवार ने कहा है कि वे विचारधारा से समझौता नहीं कर सकते हैं और जो लोग भाजपा के साथ गए हैं उनके लिए एनसीपी में कोई जगह नहीं होगी। उनकी इस बात पर भी किसी को भरोसा नहीं हो रहा है क्योंकि 2014 में विधानसभा चुनाव के बाद जब शिव सेना ने भाजपा को समर्थन नहीं दिया था तब शरद पवार ने देवेंद्र फड़नवीस की सरकार को बाहर से समर्थन दिया था। वे 1980 से पहले भारतीय जनसंघ के साथ भी सरकार बना चुके हैं। अब शरद पवार चाह रहे हैं कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ एक होकर लड़े। यानी पार्टियों का आपस में तालमेल हो। कांग्रेस में यह बात अच्छी नहीं मानी गई है क्योंकि कांग्रेस का कहना है कि पांच राज्यों में गठबंधन की किसी पार्टी का कोई अस्तित्व नहीं है। इसलिए तालमेल की बात करने की बजाय सभी पार्टियों को अपनी ओर से कांग्रेस का समर्थन करने की घोषणा करनी चाहिए।