बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब सचमुच थक गए हैं और सेहत का असर उनके कामकाज के साथ साथ उनकी राजनीति पर भी दिखने लगा है। यह पहली बार हो रहा है कि नीतीश कुमार भाजपा की लाइन पर धर्म की राजनीति के रास्ते पर भी चल पड़े हैं तो भाजपा के नेताओं की तरह उन्होंने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति स्वामीभक्ति दिखानी शुरू कर दी है।
इससे पहले नीतीश भाजपा के साथ रहते हुए भी उसकी राजनीति से दूरी रखते थे और जब राजद के साथ होते थे तो उसकी राजनीति से दूरी रखते हैं। यानी हमेशा वे अपनी बनाई लीक पर चलते थे। अपने सामाजिक समीकरण के हिसाब से राजनीति करते थे। राजद के साथ रहते हुए सवर्णों को आगे बढ़ाने में उन्हें दिक्कत नहीं होती थी तो भाजपा के साथ रहते मुसलमानों के लिए काम करने में भी उनको कोई परेशानी नहीं होती थी। लेकिन अब उनकी राजनीति भाजपा के रास्ते पर चल रही है।
यह पहली बार हुआ है कि नीतीश कुमार ने अयोध्या में राममंदिर के निर्माण और उसके भव्य उद्घाटन के लिए चिट्ठी लिख कर प्रधानमंत्री मोदी को बधाई दी है और उनको धन्यवाद कहा है। जिस समय राममंदिर का उद्घाटन हुआ था उस समय नीतीश कुमार राजद को छोड़ कर एनडीए में आ गए थे। वे भाजपा के साथ मिल कर लोकसभा का चुनाव लड़े लेकिन पिछले आठ महीने में उन्होंने मंदिर निर्माण में मोदी की भूमिका को लेकर कुछ नहीं कहा था। अब उन्होंने चिट्ठी लिखी है।
इतना ही नहीं उन्होंने यह भी बताया है कि बिहार के सीतामढ़ी में माता सीता की जन्मस्थली माने जाने वाले पुनौरा को धाम की तरह विकसित करने में उनकी सरकार ने कितना काम किया है। यानी भाजपा की तर्ज पर नीतीश कुमार धर्म और मंदिर की राजनीति में उतर गए हैं। ध्यान रहे भाजपा के साथ रहते हुए भी उनको कुछ मुस्लिम वोट मिलता है। अब वे उसे गंवा रहे हैं।