दक्षिण भारत के राज्यों में नए गठबंधन बन रहे हैं। कुछ राज्यों में पहले से गठबंधन बने हुए हैं और वहां कोई बदलाव नहीं होगा। जैसे तमिलनाडु में डीएमके और कांग्रेस का गठबंध है, जिसमें आधा दर्जन और पार्टियां शामिल हैं तो दूसरी ओर अन्ना डीएमके और भाजपा के गठबंधन में भी कई छोटी पार्टियां हैं। इसी तरह केरल में सीपीएम के नेतृत्व वाले एलडीएफ और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ में सीधा मुकाबला होता है। वहां भाजपा किसी तरह से पैर जमाने की कोशिश कर रही है। लेकिन इन दो राज्यों के अलाव बाकी तीन बड़े राज्यों- कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में नए गठबंधन बन रहे हैं। इसका बड़ा असर चुनाव पर देखने को मिलेगा।
कर्नाटक में इस बार कांग्रेस अकेले लड़ेगी लेकिन भाजपा और जेडीएस का साथ मिल कर लड़ना तय है। पिछली बार जेडीएस और कांग्रेस मिल कर लड़े थे। इस बार गठबंधन बदल रहा है। आंध्र प्रदेश में तेलुगू देशम पार्टी और जन सेना पार्टी के बीच तालमेल हो गया है और माना जा रहा है कि देर-सबेर भाजपा भी इसमें शामिल हो सकती है। हालांकि भाजपा अभी जगन मोहन की चिंता में टीडीपी से दूरी बनाए हुए है। तेलंगाना में कांग्रेस और जगन मोहन की बहन वाईएस शर्मिला की पार्टी वाईएसआर तेलंगाना पार्टी के बीच तालमेल हो सकता है। हालांकि 16 और 17 सितंबर की कार्य समिति की बैठक और कांग्रेस की रैली के दौरान इसका जिक्र नहीं हुआ। माना जा रहा था कि 17 सितंबर को तालमेल की घोषणा हो सकती है। अगले कुछ दिन में दोनों पार्टियों के बीच तालमेल हो सकता है या शर्मिला अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में कर सकती हैं। अगर ऐसा होता है तो इसका असर आंध्र प्रदेश की राजनीति पर भी होगा।