बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भूलने की बीमारी हो जाने की खबरें पिछले कुछ समय से सुनने को मिल रही हैं। कई जानकार लोगों का कहना है कि उनको डिमेंशिया की बीमारी हो गई है। भूलने की कई बीमारियों में से यह एक बीमारी है, जिसमें व्यक्ति को समय और स्थान का बोध नहीं रहता है। वह कहीं भी कोई भी काम करने लगेगा या कहीं भी कुछ भी बोलने लगेगा। नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा में सामाजिक-आर्थिक सर्वे पेश किए जाने के मौके पर स्त्री और पुरुष के यौन संबंधों को लेकर जिस भाषा में जैसी बात कही उससे लगा कि थोड़ी देर के लिए वे स्थान का बोध भूल गए। उनको समझ में नहीं आया कि वे कहां खड़े हैं और क्या बोल रहे हैं। किशोरावस्था या युवावस्था में लम्पट लोग अपने यार-दोस्तों के साथ जिस अश्लील भाषा में बात करते हैं उस भाषा में नीतीश ने बात कही।
नीतीश ने विधानसभा में जो कहा वह बंद कमरे में भी कहे जाने लायक बात नहीं है और इसलिए उसे यहां लिखा नहीं जा सकता है। सदन में मौजूद माननीय सदस्य, जिसमें महिलाएं भी थीं सब झेंपते नजर आए। लेकिन नीतीश की भाव-भंगिमा ऐसी थी, जैसे वे कोई बहुत साधारण बात कह रहे हैं। इतना ही नहीं उन्होंने इस बात को विधान परिषद में दोहराया भी। विधानसभा में इस भाषण से पहले मंगलवार को ही नीतीश कुमार अपनी सरकार के मंत्री अशोक चौधरी के पिता महावीर प्रसाद की पुण्यतिथि के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने गए थे। वहां उन्होंन दिवंगत महावीर प्रसाद की तस्वीर पर चढ़ाने के लिए रखे गए फूल उठा कर उनके बेटे अशोक चौधरी पर बरसाने लगे। इसे देख कर सब लोग हैरान रह गए।
इससे कुछ दिन पहले अपने साप्ताहिक जनता दरबार में नीतीश कुमार के सामने एक व्यक्ति ने फरियाद लगाई कि कुछ दबंग लोगों ने उसकी जमीन कब्जा कर ली है। इस पर नीतीश ने अपने साथ खड़े सहयोगी से कहा कि गृह मंत्री को फोन लगाइए। उनके सहयोगी इससे हैरान थे क्योंकि नीतीश कुमार खुद ही गृह मंत्री हैं और कोई गृह राज्यमंत्री भी नहीं है। तभी नीतीश को शर्मिंदगी से बचाने के लिए सहयोगी ने पूछा कि क्या गृह सचिव को फोन लगाएं। तब नीतीश ने दोहराया कि नहीं गृह मंत्री को फोन लगाइए। इतना ही नहीं सामने बैठे वित्त मंत्री विजय चौधरी की ओर दिखा कर नीतीश ने कहा कि सामने तो बैठे हैं मंत्री उनको फोन लगाइए।
अभी पिछले दिनों राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू बिहार के दौरे पर गई थीं, जहां मोतिहारी में महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में उन्होंने हिस्सा लिया। इस दौरान जब महामहिम अपने लिए बने अस्थायी कक्ष में थीं तो मंच पर बैठे नीतीश कुमार राज्यपाल से ही कहने लगे कि जाइए जरा देखिए कि क्यों राष्ट्रपति महोदया को इतना टाइम लग रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि वे अचानक बिना किसी सूचना के अपने किसी मंत्री के घर पहुंच जा रहे हैं। मंत्री अगर घर पर मौजूद होते हैं तो ठीक और अगर नहीं होते हैं तो वे जिद करते हैं कि उनकी श्रीमतीजी को बुलाइए। उनकी पार्टी के शीर्ष नेताओं को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। अगर उनको मुख्यमंत्री पद से नहीं हटाया जाता है तो कम से कम सार्वजनिक कार्यक्रमों में उनका जाना और भाषण देना बंद कराना चाहिए।