jagdeep dhankhar: पिछले साल लोकसभा में उम्मीद से ज्यादा सीटें हासिल करके मजबूत हुईं विपक्षी पार्टियों ने पिछले दो सत्रों में उप राष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था।
पिछले साल मॉनसून सत्र में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया और फिर शीतकालीन सत्र में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया।
नियम के मुताबिक 50 से ज्यादा सांसदों के दस्तखत के साथ राज्यसभा के महासचिव को अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस सौंपा गया था।(jagdeep dhankhar)
लेकिन सत्र के आखिरी दिन उसे खारिज कर दिया गया। तकनीकी रूप से राज्यसभा के सभापति के खिलाफ पेश अविश्वास प्रस्ताव पर 14 दिन की अवधि के बाद ही चर्चा हो सकती थी, जबकि विपक्ष ने सत्र खत्म होने के तीन चार दिन पहले अविश्वास प्रस्ताव दिया था।
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सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव(jagdeep dhankhar)
उस समय विपक्ष की ओर से अविश्वास प्रस्ताव खारिज किए जाने की आलोचना की गई थी और साथ ही कहा गया था कि विपक्ष संसद के अगले सत्र में यानी बजट सत्र में फिर से सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करेगा।
लेकिन सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति के अभिभाषण, आर्थिक सर्वे और दूसरे दिन बजट की वजह से विपक्ष ने इस पर चर्चा नहीं की।(jagdeep dhankhar)
तभी यह देखना दिलचस्प होगा कि विपक्ष इस बार सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाता है या नहीं। वैसे इस बार विपक्षी गठबंधन में भी पहले जैसी एकजुटता नहीं है और न सत्र से पहले कोई ऐसा मुद्दा आया है, जिस पर विपक्ष एकजुट हो सके।
अरविंद केजरीवाल की पार्टी कम से कम पांच फरवरी यानी दिल्ली में मतदान के दिन तक कांग्रेस के साथ नहीं बैठ सकती है।
समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के सांसद भी मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस का साथ देने के मूड में नहीं हैं। सो, कम से कम बजट सत्र के पहले चरण में अविश्वास प्रस्ताव की संभावना कम दिख रही है।(jagdeep dhankhar)
हालांकि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा शुरू होने पर विपक्ष के प्रति सभापति का क्या रवैया रहता है और किस तरह से सदन का कामकाज चलता है उस पर निर्भर करेगा कि विपक्ष आगे क्या करेगा।