कांग्रेस और उसके गठबंधन में शामिल समाजवादी पार्टी को लग रहा है कि उत्तर प्रदेश की दलित राजनीति में बिखराव का दौर चल रहा है और इस वजह से दलित वोट उनके साथ आ सकता है। मायावती और उनकी बहुजन समाज पार्टी की निष्क्रियता से यह उम्मीद बनी है। इससे पहले कुछ दलित वोट का रूझान भाजपा की ओर भी दिखा था। लेकिन ऐसा लग रहा है कि दलित वोट का बिखराव अब थम सकता है। मायावती ने एक बार फिर अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी बना दिया है और पूरे देश में बसपा का काम उनको सौंप दिया है। लोकसभा चुनाव के नतीजों की मजबूरी में उनको यह फैसला करना पड़ा है।
चुनाव से पहले मायावती ने आकाश को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा के खिलाफ उनके तेवर को देखते हुए मायावती ने उनको हटा दिया। इसका फायदा आजाद समाज पार्टी के नेता चंद्रशेखर आजाद को मिला। वे मायावती के गढ़ नगीना सीट पर लड़े और चुनाव जीत गए। उन्होंने भाजपा, सपा और बसपा तीनों को हराया। इसके बाद ही मायावती ने मजबूरी में फिर से आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी बनाया। अब उत्तर प्रदेश की दलित राजनीति में आकाश आनंद बनाम चंद्रशेखर का मुकाबला होगा। चंद्रशेखर अंबेडकर, कांशीराम और मायावती तीनों का नाम लेकर राजनीति कर रहे हैं। सो, आकाश के लिए उनका मुकाबला आसान नहीं होगा।