यह सिर्फ एक खबर नहीं है, बल्कि एक देश और एक कुछ भी करने की जिद के फेल होने का प्रमाण है। पिछले कई बरसों से केंद्र सरकार एक देश और एक कुछ भी का नारा चला रही है। ‘एक देश, एक कर’ या ‘एक देश, एक चुनाव’ तो चर्चित है लेकिन इसके अलावा भी कई चीजें हैं, जिनमें एक देश, एक परीक्षा एजेंसी का भी प्रयास किया गया था। इसके लिए नवंबर 2017 में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानी NTA के नाम से एक एजेंसी बनाई गई थी।
इस एजेंसी को एक एक करके सारी प्रवेश परीक्षाओं और साथ साथ भर्ती परीक्षाओं की भी जिम्मेदारी दी जा रही थी। इसे एक स्वायत्त संस्था के तौर पर बनाया गया था लेकिन पिछले दिनों एक के बाद एक परीक्षा में गड़बड़ी के बाद खुलासा हुआ कि यह एजेंसी इधर उधर से लाए गए चुनिंदा अधिकारियों के दम पर चल रही है और इसके ज्यादातर काम आउटसोर्स किए जा रहे हैं।
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मेडिकल में दाखिले की नीट परीक्षा में गड़बड़ी के बाद इसकी समीक्षा के लिए एक कमेटी बनाई गई, जिसने सिफारिश की है NTA को सिर्फ प्रवेश परीक्षाएं कराने की ही जिम्मेदारी दी जाए। हालांकि वह भी बहुत बड़ा काम है। नीट, जेईई, यूजीसी जैसी करीब डेढ़ दर्जन परीक्षाएं फिर भी एनटीए के जिम्मे होंगी। फिर भी यह अच्छा है कि भर्ती परीक्षाओं की जिम्मेदारी उससे ले ली गई।
सरकार अगर इस एजेंसी के ढांचे में सुधार नहीं करती है और डेपुटेशन के अधिकारियों की बजाय प्रतिबद्ध अधिकारियों का काडर नहीं तैयार करती है तो इसका कामकाज जैसे अभी चल रहा है वैसे ही चलता रहेगा और इसमें गड़बड़ियां होती रहेंगी।