One Nation One Election: केंद्र सरकार की ओर से संसद के बजट सत्र में विधायी कामकाज का जो एजेंडा तय किया गया है उसमें वक्फ बोर्ड बिल पास कराने के साथ साथ ‘एक देश, एक चुनाव’ का बिल भी शामिल है।
वक्फ बोर्ड पर सरकार के लाए बिल पर संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी ने अपनी कार्रवाई पूरी कर ली है और रिपोर्ट स्पीकर को सौंप दिया है।(One Nation One Election)
इसे संसद में पेश करना है। हो सकता है कि पास कराने के मौके पर विपक्षी पार्टियों की ओर से इसका विरोध हो और हंगामा भी हो लेकिन सरकार इसे पास करा लेगी।
परंतु सवाल है कि ‘एक देश, एक चुनाव’ का क्या होगा? क्या सरकार वक्फ बिल की तरह इस पर भी जेपीसी में बहुमत के दम पर मनमाना फैसला करा कर बिल संसद में पेश कर देगी?
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यह बड़ा सवाल है क्योंकि वक्फ बोर्ड बिल की तरह ‘एक देश, एक चुनाव’ का मामला बहुत आसान नहीं है। विपक्षी पार्टियां बहुत आसानी से इस मसले पर राजी नहीं होने वाली हैं।
जेपीसी को इस मामले में बहुत सारे हितधारकों से मुलाकात करनी है। पार्टियों के अलावा चुनाव आयोग से लेकर अर्धसैनिक बलों और राज्य सरकार की एजेंसियों की राय भी लेनी होगी।(One Nation One Election)
इसमें कई ऐसे पहलू हैं, जिनमें राज्यों की सरकारों की बड़ी भूमिका होने वाली है। मिसाल के तौर पर लाखों की संख्या में ईवीएम, वीवीपैट और कंट्रोल यूनिट रखने के लिए सैकड़ों की संख्या में वेयरहाउस बनने हैं। इसके लिए राज्य सरकारों को जमीन से लेकर कई चीजें उपलब्ध करानी हैं।
सो, ‘एक देश, एक चुनाव’ के बिल का दायरा बहुत बड़ा है। इसके लिए बनी जेपीसी को बजट सत्र समाप्त होने से पहले अपनी रिपोर्ट स्पीकर को देनी है।(One Nation One Election)
लेकिन ऐसा नहीं लग रहा है कि यह संभव हो पाएगा। माना जा रहा है कि जेपीसी के कार्यकाल को विस्तार दिया जाएगा और मानसून सत्र में रिपोर्ट पेश करने को कहा जा सकता है।
वैसे भी अगर इस बार रिपोर्ट पेश हो जाती तो उसे चर्चा के लिए रख कर पास कराना संभव नहीं हो पाता।