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गलती राजनैतिक नेतृत्व की, बदनाम विक्रम मिस्री

विक्रम मिस्री

भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री सोशल मीडिया के राइट विंग ट्रोलर्स यानी भाजपा समर्थकों के निशाने पर हैं। उनके साथ साथ उनकी पत्नी और बेटी की तस्वीरें लगा कर उनको भी ट्रोल किया जा रहा है।

मामला इतना बढ़ गया कि विक्रम मिस्री को अपना अकाउंट प्राइवेट करना पड़ा ताकि दूसरे लोग नहीं देख सकें। लेकिन इससे भी ज्यादा लाभ नहीं हुआ है। उन पर हमले जारी है।

विदेश सचिव विक्रम मिस्री के ऊपर हमला सीजफायर को लेकर हो रहा है। ऐसा बताय जा रहा है, जैसे सीजफायर का फैसला विदेश सचिव ने किया है और उनकी वजह से भारतीय सेना को पाकिस्तान के खिलाफ अपनी कार्रवाई रोकनी पड़ी है।

विदेश सचिव विक्रम मिस्री की भूमिका

आम जनता के बीच इस किस्म का मैसेज इसलिए बना क्योंकि भारत सरकार ने खुल कर नहीं कहा कि सीजफायर का फैसला देश के सर्वोच्च राजनीतिक नेतृत्व का है। सूत्रों के हवाले से इतना भर बताया गया कि अमेरिका के दखल से सीजफायर नहीं हुआ है, बल्कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीधी बात हुई थी।

अगर सीधी बात हुई थी तो विदेश मंत्री विक्रम मिस्री, रक्षा मंत्री या राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार पूरी कहानी बताएं। इसमें विदेश सचिव को बलि का बकरा बनाने का क्या मतलब है?

ऊपर से जब विदेश सचिव को निशाना बनाया गया तो भाजपा या सरकार की ओर से उनका बचाव नहीं किया गया। कांग्रेस के सचिन पायलट, एमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी और देश का आईएएस एसोसिएशन सामने आया और उसने विक्रम मिस्री को ट्रोल किए जाने की निंदा की।

कायदे से यह काम देश के विदेश मंत्री या विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता को करना चाहिए था। सरकार को हिम्मत करके देश के सामने यह कहना चाहिए उसने युद्धविराम का फैसला किया।

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pic credit- ANI 

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