यह कमाल है कि कांग्रेस को पूरी तरह से अलग थलग करने का प्रयास कर रहे विपक्षी गठबंधन के नेताओं के सुर बदल गए हैं। जो नेता पहले कांग्रेस से नेतृत्व छीन कर ममता बनर्जी को देने की बात कर रहे थे या जिनको लग रहा था कि विपक्षी गठबंधन इंडिया का अब अस्तित्व नहीं बचा है उनमें से कई नेता अब बैकफुट पर हैं और सफाई दे रहे हैं। यह क्या रणनीति है? क्या विपक्षी नेताओं की राय कांग्रेस को लेकर रातों रात बदल गई या कोई जमीनी फीडबैक ऐसी मिली है, जिसकी वजह से पार्टियों को स्टैंड बदलना पड़ा है या राजनीतिक समीकरण बदलते दिख रहे हैं, जिसकी वजह से पार्टियों को वापस पुराने गठबंधन में ही रहने की मजबूरी प्रतीत हो रही है? पार्टियों की राय बदलने के पीछे इन तीनों कारणों का थोड़ा थोड़ा योगदान है।
पहले उद्धव ठाकरे की शिव सेना के बारे में बात करें तो आगे बढ़ बढ़ कर बयानबाजी करने वाले संजय राउत सबसे ज्यादा सफाई देने के मोड में हैं। उन्होंने आगे बढ़ कर उमर अब्दुल्ला की इस बात का समर्थन किया था कि विपक्षी गठबंधन अगर अस्तित्व में नहीं है तो उसके लिए जिम्मेदार कांग्रेस है। इससे पहले उन्होंने ममता बनर्जी को ‘इंडिया’ का नेता बनाने का समर्थन भी किया था। इसके बाद उन्होंने मुंबई और नागपुर में स्थानीय निकाय चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान भी किया। लेकिन अब वे सफाई दे रहे हैं। राउत ने कहा है कि उन्होंने कभी भी ‘इंडिया’ ब्लॉक के अस्तित्व पर सवाल नहीं उठाया और कभी भी इसे खत्म करने की बात नहीं कही। इस सफाई का तात्कालिक कारण तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का शिरडी दौरा था, जहां उन्होंने रविवार को उद्धव ठाकरे और शरद पवार दोनों पर तीखा हमला किया। शाह ने दोनों को विश्वासघाती और झूठ व फरेब की राजनीति करने वाला बताया।
सोचें, संजय राउत इस मुकाम तक चले गए थे कि उन्होंने भाजपा के साथ वापस तालमेल की बातें शुरू कर दी थीं और कहा था कि राजनीति में कोई स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता है। उन्होंने नीतीश कुमार की मिसाल भी दी थी। लेकिन अमित शाह ने सारी संभावनाएं खत्म कर दीं। उसके बाद राउत ‘इंडिया’ ब्लॉक और कांग्रेस पर दिए बयान पर सफाई देने लगे हैं। ‘इंडिया’ ब्लॉक या कांग्रेस को लेकर इतनी तीखा बयान समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने खुद नहीं दिया था। लेकिन उनकी पार्टी के नंबर दो नेता रामगोपाल यादव ने ममता बनर्जी को नेता बनाने के सुझाव का समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि राहुल गांधी ‘इंडिया’ ब्लॉक के नेता नहीं हैं, बल्कि मल्लिकार्जुन खड़गे हैं। हालांकि उन्होंने ‘इंडिया’ ब्लॉक के अस्तित्व पर सवाल नहीं उठाया था। लेकिन अब अखिलेश यादव ने आगे बढ़ कर तमाम विपक्षी पार्टियों की ओर से उठाए जा रहे सवालों का जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि ‘इंडिया’ ब्लॉक अखंड है। यानी इसमें कोई विभाजन नहीं है और यह एकजुट है। ऐसा लग रहा है कि उत्तर प्रदेश की नौ सीटों के उपचुनाव का सबक उनको ध्यान में है और अभी सबसे प्रतिष्ठा की सीट मिल्कीपुर में पांच फरवरी को मतदान होना है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने मिल्कीपुर में सपा को समर्थन देने का ऐलान किया है और कांग्रेस के कार्यकर्ता वहां फैजाबाद के सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजित प्रसाद की मदद कर रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस चुनाव के नतीजों के बाद अखिलेश का क्या रुख रहता है।