विपक्षी पार्टियों की बैठक होने जा रही है और पिछले कई सालों से संघीय मोर्चा बनाने की कोशिश में जुटे तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की कहीं चर्चा नहीं हो रही है। यह बहुत दिलचस्प घटनाक्रम है। ऐसा लग रहा है कि भारत राष्ट्र समिति के नेता केसीआर ने इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव तक अपना स्टैंड बदल लिया है। वे अपने को तेलंगाना में सीमित कर रहे हैं और लोकसभा चुनाव के लिए नरेंद्र मोदी के खिलाफ बनने वाले किसी भी मोर्चे से दूरी दिखा रहे हैं। कुछ समय पहले तक वे मोदी के खिलाफ बहुत आक्रामक थे। पिछले करीब एक साल में प्रधानमंत्री मोदी तीन बार हैदराबाद के दौरे पर गए लेकिन केसीआर एक बार भी उनसे नहीं मिले। लेकिन अब वे मोदी को अपना बेस्ट फ्रेंड बता रहे हैं। यह हाल के दिनों का बदलाव है।
ऊपर से केसीआर ने महाराष्ट्र में जिस तरह की राजनीति शुरू की है उससे भी उनकी मंशा पर संदेह होता है। जिस तरह से उनके राज्य के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने तेलंगाना के बाद महाराष्ट्र में राजनीति की और एक लोकसभा सीट जीती उसी तरह से केसीआर महाराष्ट्र में राजनीति कर रहे हैं। ओवैसी ने राज्य के मुस्लिम मतदाताओं को टारगेट किया तो केसीआर किसानों को टारगेट कर रहे हैं। इससे शरद पवार परेशान हुए हैं। उनकी पार्टी एनसीपी ने के चंद्रशेखर राव की पार्टी को भाजपा की बी टीम बताया है। पिछले कुछ दिनों में केसीआर ने महाराष्ट्र में कई रैलियां की हैं और अपने राज्य में किसानों के लिए लागू की गई योजनाओं को वहां लागू करने की बात कही है। ध्यान रहे किसानों के बीच ही एनसीपी का आधार है। इस बीच एक नया घटनाक्रम यह हुआ कि नागपुर में प्रेस कांफ्रेंस में केसीआर ने मोदी को अपना बेस्ट फ्रेंड बताया। ऐसा लग रहा है कि तेलंगाना में ध्रुवीकरण की संभावना को भांप कर केसीआर ने मोदी के खिलाफ अपना आक्रामक स्टैंड थोड़ा नरम किया है।