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संसद की गरिमा कैसे बचेगी?

नए संसद भवन में कार्यवाही की शुरुआत मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण से हुई थी, जिसमें उन्होंने पिछली सारी कड़वाहट भूल कर नए सिरे से शुरुआत करने की अपील की थी। उन्होंने विपक्ष की ओर इशारा करते हुए कहा कि चुनाव अभी दूर हैं लेकिन आने वाले दिनों में यहां बैठे सदस्यों के आचरण से तय होगा कि कौन किस तरफ बैठेगा। उनके यह कहने के तीसरे दिन यानी गुरुवार को उनकी पार्टी के सांसद रमेश विधूड़ी ने बहुजन समाज पार्टी के एक मुस्लिम सांसद को अपशब्द कहे, गालियां दीं। इस दौरान दो पूर्व मंत्री वहीं बैठे हंस रहे थे। भारत के संसदीय इतिहास में कभी सदन के अंदर वैसे शब्द नहीं कहे गए, जैसे गुरुवार को भाजपा सांसद ने कहे इसके बावजूद उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

नए संसद भवन की गरिमा गिराने वाला यह इकलौता घटनाक्रम नहीं है। संसद की कार्यवाही देखने के लिए बड़ी संख्या में महिलाओं को बुलाया गया था। राज्यसभा में कार्यवाही के दौरान दर्शक दीर्घा में बैठ महिलाओं ने अचानक नारेबाजी शुरू कर दी। उन्होंने भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन में नारेबाजी की। नारे लगा रही कुछ महिलाओं को सुरक्षाकर्मियों ने थोड़ी देर के लिए हिरासत में लिया। लोकसभा में भी दर्शक दीर्घा में बैठी महिलाओं ने नारेबाजी की थी, जहां दो मंत्रियों ने जाकर उनको समझाया था। यह एक नई परंपरा शुरू हो गई है। सदन के अंदर भाजपा के सांसद मोदी-मोदी के नारे लगाते हैं और अब दर्शक दीर्घा में भी लोग वैसे ही नारे लगाने लगे हैं। संसद राजनीतिक अखाड़ा या चुनावी मंच बना दिया गया है।

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