संसद के विशेष सत्र में विपक्षी पार्टियां आसानी से केंद्र सरकार के एजेंडे पर न चर्चा होने देंगी और न प्रस्ताव मंजूर होने देंगी। कांग्रेस के संसदीय रणनीतिक समूह की बैठक के बाद कांग्रेस के संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने पार्टी का इरादा साफ कर दिया था। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियां मोदी चालीसा के लिए संसद में नहीं बैठेंगी। इसका मतलब है कि विपक्ष को भी अंदाजा है कि विशेष सत्र मोदी चालीसा के लिए आयोजित किया जा रहा है। हालांकि हो सकता है कि इसके अलावा भी कुछ हो, जिसे ऐन उसी समय सामने रख कर सरकार सबको चौंका दे। लेकिन अभी अगर सिर्फ यह मकसद है कि प्रधानमंत्री की तारीफ, अभिनंदन करना है और भविष्य की योजनाओं का संकल्प पेश करके चुनाव का एजेंडा तय करना है तो विपक्षी पार्टियां वह काम आसानी से नहीं होने देंगी।
तभी रणनीतिक समूहह की बैठक के अगले दिन कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी और नौ विषयों की एक सूची बताई, जिन पर विपक्ष चर्चा चाहता है। इसमें मुख्य मुद्दा मणिपुर का है, जहां सरकार के तमाम दावों के उलट हिंसा अब भी जारी है और लोग मारे जा रहे हैं। इतना ही नहीं घटना की रिपोर्टिंग पर एडिटर्स गिल्ड के अध्यक्ष सहित तीन सदस्यों पर खुद मुख्यमंत्री ने मुकदमा दर्ज कराया। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी हैरानी जाहिर की। विपक्ष चाहता है कि मणिपुर के साथ साथ चीन की घुसपैठ, किसानों के साथ हुए समझौते, महंगाई आदि के मुद्दों पर चर्चा हो। विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के फ्लोर लीडर्स के साथ मल्लिकार्जुन खड़गे की बैठक के बाद कहा जा रहा है कि विपक्ष पहले दिन अपने एजेंडे पर चर्चा चाहेगा। अडानी का भी मुद्दा उठाएगा। सरकार उस पर चर्चा के लिए तैयार नहीं होगी तो विपक्ष हंगामा करके संसद नहीं चलने देगा। दूसरे दिन कार्यवाही नए भवन में शुरू होगी। सो, यह देखना दिलचस्प होगा कि नए संसद भवन का पहला दिन कैसा होता है? हंगामे में जाया होता है या कोई सार्थक चर्चा होती है?