पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने राज्यपाल के कामकाज को नए सिरे से परिभाषित करने का जिम्मा उठाया है। हालांकि केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि सहित कई विपक्ष शासित राज्यों के राज्यपाल भी यह काम कर रहे हैं लेकिन किसी ने खुल कर आनंद बोस की तरह यह नहीं कहा कि पैसिव यानी निष्क्रिय राज्यपाल का समय अब चला गया। सीवी आनंद बोस ने कहा है कि अब पैसिव राज्यपाल का समय चला गया है। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि कब से चला गया और क्यों चला गया? क्या कोई आदेश जारी हुआ है या संविधान में कोई बदलाव हुआ है या क्या राजनीतिक घटनाक्रम हुआ है, जिससे राज्यपालों की भूमिका बदल गई है, इसका जवाब उन्होंने नहीं दिया है।
सीवी आनंद बोस ने यह भी नहीं बताया है कि क्या देश के सभी राज्यों में पैसिव राज्यपाल का समय समाप्त हो गया है या सिर्फ विपक्ष के शासन वाले राज्यों में ऐसा हुआ है और भाजपा शासित राज्यों में अब भी पैसिव राज्यपाल का ही समय चल रहा है? बहरहाल, बंगाल के राज्यपाल और राज्य की ममता बनर्जी सरकार का संबंध बाकी किसी राज्य के मुकाबले ज्यादा खराब हो गया है। मामला यहां तक पहुंच गया है कि राज्यपाल ने मानहानि का मुकदमा किया है तो राज्य सरकार उनके ऊपर लगे यौन शोषण के आरोपों को राजनीतिक मुद्दा बना रही है। यानी संवैधानिक कामकाज से आगे दोनों के संबंध आपराधिक मुकदमों तक चले गए हैं। य़ह एक्टिव राज्यपाल होने का एक नमूना है।