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पवन कल्याण दक्षिण में हिंदुत्व का चेहरा

जन सेना पार्टी के नेता और तेलुगू फिल्मों को सुपर स्टार औरर आंध्र प्रदेश के उप मुख्यमंत्री पवन कल्याण ने कमाल किया है। उन्होंने हिंदुत्व की राजनीति में उत्तर भारत के सबसे फायरब्रांड नेताओं को भी पीछे छोड़ दिया है। उन्होंने हिंदुत्व की ऐसी राजनीति की है, जिसके बारे में दक्षिण भारत में आमतौर पर नहीं सोचा जाता है। राज्य के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने तिरुपति के लड्डू प्रसादम् में जानवर की चर्बी और मछली का तेल मिलाए जाने का खुलासा किया और इसके लिए तो जगन मोहन रेड्डी की सरकार पर आरोप लगाए तो जगन के खिलाफ मोर्चा पवन कल्याण ने ही संभाला। पवन कल्याण ने 11 दिन का शुद्धि उपवास शुरू किया और उपवास में ही वे सीढ़िया चढ़ कर तिरुपति मंदिर गए। इस दौरान उनकी तबियत भी बिगड़ी। इसके बाद उन्होंने आरोप लगाया कि लड्डू बनाने के लिए उपयोग में लाए गए घी में मिलावट तो बड़े खेल का छोटा हिस्सा है। उन्होंने कहा कि अंदर में बहुत कुछ चल रहा है।

शुद्धिकरण उपवास के बाद पवन कल्याण ने तमिलनाडु के उप मुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ मोर्चा खोला। उन्होंने उदयनिधि के सनातन धर्म पर दिए बयान को मुद्दा बना कर कहा कि सनातन को मिटाने वाले कितने लोग मिट गए। इस तरह पवन कल्याण सनातन के चैंपियन बन कर उभरे। लेकिन पवन कल्याण की इस स्टैंड के बाद यह सवाल उठ रहा है कि वे क्या अपनी स्वतंत्र हिंदुवादी राजनीति करने के लिए इस तरह से सक्रिय हुए हैं या यह भाजपा का गेम प्लान है? क्या भाजपा ने उनको चंद्रबाबू नायडू को काउंटर करने और राज्य में भाजपा के लिए स्पेस बनाने का काम सौंपा है? ध्यान रहे राज्य में कांग्रेस तीन लोकसभा चुनाव और तीन विधानसभा चुनाव में खाता नहीं खोल पाई है। उधर जगन मोहन को ईसाई बता कर हिंदू विरोधी ठहराया जा चुका है। ऐसे में भाजपा को अपने लिए संभावना दिख रही है। राज्य में 15 फीसदी के करीब कापू वोट है, जिसके नेता पवन कल्याण हैं। अगर वे हिंदुत्व की राजनीति को स्थापित करते हैं और बाद में भाजपा उनको चेहरा बनाती है तो वह वहां मजबूती से जम सकती है। इसी तरह की राजनीति वह आंध्र से अलग हुए तेलंगाना में भी कर रही है।

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