कह सकते हैं कि शिष्टाचार के तहत या एक धार्मिक आयोजन में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार, 11 सितंबर को भारत के चीफ जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ के घर गए। लेकिन क्या यह मामला सिर्फ इतना भर है? क्या प्रधानमंत्री सिर्फ इसलिए चीफ जस्टिस के यहां गए क्योंकि वे मराठी हैं और इस समय उनके घर में गणपति उत्सव का आयोजन हो रहा है? यह इतने भर का मामला नहीं है।
अगर सिर्फ शिष्टाचार या धार्मिक उत्सव में शामिल होने की सामाजिकता का मामला होता तो प्रधानमंत्री पिछले साल भी चीफ जस्टिस के घर गए होते? आखिर पिछले साल भी गणेश उत्सव के समय डीवाई चंद्रचूड़ भारत के चीफ जस्टिस ही थे। लेकिन तब प्रधानमंत्री उनके घर नहीं गए थे। यह गणेश उत्सव या किसी भी धार्मिक उत्सव में हिस्सा लेने के लिए किसी जज या चीफ जस्टिस के यहां किसी भी प्रधानमंत्री के जाने का संभवतः पहला मामला है।
तभी इसके पीछे राजनीति देखी जा रही है और इसके महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव से जोड़ा जा रहा है। गौरतलब है कि अगले महीने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों की घोषणा होने वाली है और नवंबर में राज्य में चुनाव होंगे। पिछले 10 साल में साढ़े सात साल तक किसी तरह से सत्ता में रही भाजपा के लिए महाराष्ट्र बहुत अहम हैं। वैसे तो हरियाणा और जम्मू कश्मीर में चुनाव की प्रक्रिया चल रही है और झारखंड में भी महाराष्ट्र के साथ चुनाव होगा लेकिन इन तीनों राज्यों के साझा वजन से भी ज्यादा महत्व महाराष्ट्र के चुनाव का है। महाराष्ट्र में मुंबई है, जो देश की वित्तीय राजधानी है।
महाराष्ट्र में नागपुर है, जहां राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ का मुख्यालय और महाराष्ट्र वह राज्य है, जहां यह मुद्दा बना है कि गुजरात के रहने वाले प्रधानमंत्री महाराष्ट्र की सारी बड़ी परियोजनाएं अपने राज्य में ले जा रहे हैं। यानी वहां प्रधानमंत्री के ऊपर क्षेत्रीय भेदभाव का सबसे बड़ा आरोप लगा है। महाराष्ट्र वह राज्य है, जहां शिव सेना है और चुनाव आयोग व स्पीकर के फैसले के बाद अब जनता को तय करना है कि असली शिव सेना कौन है। इससे हिंदुत्व की भाजपा ब्रांड राजनीति को भी चुनौती मिलने की संभावना है।
इसलिए यह माना जा रहा है कि महाराष्ट्र जीतने के लिए भाजपा कुछ भी करेगी। चाहे चुनाव से पहले कुछ करना हो या चुनाव के बाद कुछ करना हो। हर चीज के लिए भाजपा तैयार है। बहरहाल, प्रधानमंत्री मोदी के बुधवार को चीफ जस्टिस के घर जाने की खबर आने के बाद ही इसका विरोध शुरू हो गया है। न्यायिक बिरादरी में सबसे ज्यादा विरोध है।
जानी मानी वकील और सामाजिक कार्यकर्ता इंदिरा जयसिंह ने इसको गलत बताते हुए इसकी आलोचना की है। शिव सेना के संजय राउत ने कहा है कि ‘क्या चीफ जस्टिस अब हमको न्याय दे पाएंगे’? इसको महाराष्ट्र चुनाव से इसलिए भी जोड़ा जा रहा है क्योंकि प्रधानमंत्री ने मराठी मानुष की तरह टोपी लगाई है, जबकि चीफ जस्टिस ने वैसी टोपी नहीं पहनी है। उनकी पत्नी ने भी मराठी वेशभूषा नहीं पहनी है। लेकिन दोनों के बीच प्रधानमंत्री मोदी मराठी मानुष की तरह खड़े हैं। इसका सीधा मैसेज महाराष्ट्र की जनता के लिए है।