प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को एनडीए संसदीय दल की बैठक में अपने करीब सवा घंटे के भाषण में कहा था कि मंत्री बनाए जाने को लेकर मीडिया में जो खबरें चल रही हैं वो सारी खबरें गप्प हैं और उन पर भरोसा करने की जरुरत नहीं है। हालांकि उन खबरों में से कुछ सही साबित हुई हैं और कुछ अटकलों को प्रधानमंत्री मोदी ने गलत साबित कर दिया है। मंत्रिमंडल के गठन में इस बार ऐसी कई सहयोगी पार्टियों को शामिल किया गया गया, जिनके एक एक सांसद हैं तो कई छोटी पार्टियों को छोड़ भी दिया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी सरकार में ज्यादातर पुरानी सहयोगी पार्टियों को जगह दी है। कई नई पार्टियों और पूर्वोत्तर की पार्टियों को जगह नहीं मिली है।
प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार की दो बड़ी पार्टियों जनता दल यू और लोक जनशक्ति पार्टी को तो मौका दिया ही है एक सांसद वाली पार्टी हिंदुस्तान अवाम मोर्चा को भी सरकार में शामिल किया गया है। पार्टी के इकलौते सांसद और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी मंत्री बने हैं। वे 80 साल के हैं। पहली बार मोदी की सरकार में कोई इतना उम्रदराज मंत्री बना है। इसी तरह अपनी पार्टी की इकलौती सांसद अनुप्रिया पटेल को भी फिर से मंत्री बनाया गया है। गौरतलब है कि पिछले दो लोकसभा चुनावों में उनके दो दो सांसद जीत रहे थे और वे मंत्री बनती थीं। इस बार वे बड़ी मुश्किल लड़ाई में अकेले चुनाव जीत पाई हैं। फिर भी प्रधानमंत्री मोदी ने उनको सरकार में शामिल किया है।
लेकिन झारखंड की सहयोगी पार्टी ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन यानी आजसू के इकलौते लोकसभा सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी को मंत्री नहीं बनाया गया। वे पिछली बार भी गिरिडीह लोकसभा सीट से चुनाव जीते थे लेकिन तब भी मंत्री नहीं बन पाए थे। हालांकि तब भाजपा के अपने 303 सांसद जीते थे। लेकिन इस बार कहा जा रहा है कि पार्टी के नेता सुदेश महतो नहीं चाहते थे कि उनकी पार्टी सरकार में शामिल हो। इसके बदले वे झारखंड में विधानसभा सीट के लिए मोलभाव करेंगे।
एक एक लोकसभा सदस्यों वाली कई और पार्टियों को भी सरकार में नहीं शामिल किया गया है। अजित पवार की पार्टी एनसीपी का सिर्फ एक लोकसभा सांसद है लेकिन कहा जा रहा था कि एनसीपी की ओर से राज्यसभा सांसद प्रफुल्ल पटेल मंत्री बनेंगे। इसके लिए पूरी तैयारी भी थी। लेकिन उनको मंत्री नहीं बनाया गया। इससे अजित पवार खेमे में नाराजगी थी। बाद में महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने सुनील तटकरे से मिल कर उनको समझाने का प्रयास किया। हालांकि नाराजगी कायम बताई जा रही है। असम गण परिषद भाजपा की पुरानी सहयोगी पार्टी है, जिसके एक सांसद फणीभूषण चौधरी बारपेटा सीट से चुनाव जीते हैं और उसकी दूसरी सहयोगी पार्टी यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल यानी यूपीपीएल के जयंता बासुत्री कोकराझार से चुनाव जीते हैं। इन दोनों को भी सरकार में जगह नहीं मिली है। पूर्वोत्तर के किसी सहयोगी पार्टी को सरकार में शामिल होने का मौका नहीं मिला है।