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जीएसटी में बदलाव का राजनीतिक पक्ष

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से इस साल एक बड़ी घोषणा की, जिसका आम लोगों के जीवन पर बड़ा असर होगा और चुनावी राजनीति भी प्रभावित होगी। वह घोषणा जीएसटी के स्लैब्स बदलने और दर कम करने की है। बदलाव के इस फैसले का इंतजार काफी समय से हो रहा था। फिर भी 15 अगस्त को हुई घोषणा के पूरा होने के लिए लोगों को दो महीने से ज्यादा इंतजार करना होगा। यह बदलाव दिवाली के समय लागू होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि डबल दिवाली मनेगी इस बार। इसमें कोई संदेह नहीं है कि जिस तरह के बदलाव की चर्चा हो रही है उससे लोगों को अच्छा खासा लाभ मिलेगा। रोजमर्रा की जरुरत की चीजों के साथ साथ व्हाइट गुड्स मतलब टीवी, फ्रीज आदि भी सस्ते होंगे। इनकी कीमत में 10 फीसदी तक की कमी आ सकती है। एक बड़ा लाभ बीमा प्रीमियम में होगा। अभी जीवन और स्वास्थ्य बीमा पर 18 फीसदी टैक्स लगता है, जिसे पांच फीसदी या जीरो किया जा सकता है।

ध्यान रहे इसकी मांग सबसे पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने उठाई थी। उन्होंने बीमा प्रीमियम पर जीएसटी समाप्त करने की मांग की थी। उसके बाद बिहार के वित्त मंत्री सम्राट चौधरी की अध्यक्षता में एक कमेटी भी बनी थी। लेकिन छह महीने से ज्यादा बीत जाने के बाद भी इस कमेटी ने क्या किया वह किसी को पता नहीं है। ऐसा लग रहा है कि इसकी रिपोर्ट रोक कर रखी गई क्योंकि अगर जीएसटी कौंसिल बीमा प्रीमियम पर जीएसटी खत्म करने की घोषणा करती तो उसका श्रेय गडकरी को जाता। लेकिन अब इसका श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को जाएगा। इसी तरह जीएसटी स्लैब बदलने का फैसला दिवाली से लागू होगा क्योंकि उसके तुरंत बाद बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। उस समय प्रचार चल रहा होगा और एनडीए को इसका फायदा मिलेगा। मंत्री समूह की अध्यक्षता कर रहे सम्राट चौधरी बिहार में भाजपा का अघोषित चेहरा हैं। इसका भी लाभ एनडीए को मिलेगा।

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