केंद्र सरकार के मंत्री और भाजपा के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी इन्फ्लूयंसर भी हैं। उन्होंने खुद ही बताया है कि उनके मोटिवेशनल वीडियो से कितनी आमदनी होती है। वे वीडियो के अलावा सार्वजनिक कार्यक्रमों में भी मोटिवेशनल भाषण देते हैं। उसी में राजनीतिक टिप्पणियां भी करते हैं। लेकिन वे टिप्पणियां इतनी छायावादी अंदाज की होती हैं कि लोग उसको डिकोड करते रहते हैं।
हर बार कहा जाता है कि उनका निशाना भाजपा का मौजूदा नेतृत्व यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह हैं। संभवतः इसी वजह से विपक्ष का कोई बड़ा नेता उनके पास प्रधानमंत्री पद का प्रस्ताव लेकर पहुंच गया था। ऐसा खुद गडकरी ने बताया है।
बहरहाल, उनका ताजा ज्ञान यह है कि सार्वजनिक जीवन में जो लोग हैं उनको आलोचना के लिए तैयार रहना चाहिए। यह बात नितिन गडकरी ने उस दिन कही, जिस दिन भाजपा की ओर से कांग्रेस को यह जवाब दिया गया था कि प्रधानमंत्री को एक सौ बार से ज्यादा अपशब्द कहे गए हैं। तभी ऐसा लगा कि गडकरी ने इसका प्रतिवाद किया है और कहा है कि सार्वजनिक जीवन में आलोचना के लिए तैयार रहना चाहिए। इसी क्रम में उन्होंने दूसरा बयान यह दिया कि आज देश में असहमति की आवाजों की कमी हो गई है। विपक्षी पार्टियां इस तरह के आरोप लगाती हैं कि भारत में असहमति को दबाया जा रहा है और अभिव्यक्ति की आजादी को बाधित किया जा रहा है।