पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के बेटे और कर्नाटक विधानसभा के सदस्य एचडी रेवन्ना को एक महिला को अगवा करने के मामले में गिरफ्तार किया गया था। महिला को सिर्फ अगवा करने का आरोप नहीं था। यह भी आरोप है कि अगवा की गई महिला के साथ रेवन्ना के बेटे प्रज्ज्वल ने यौन दुर्व्यवहार किया। यानी बेहद गंभीर आरोप में रेवन्ना गिरफ्तार हुए थे। लेकिन आठ दिन के अंदर उनको जमानत मिल गई। आखिर ऐसा क्या हुआ कि इतने गंभीर आरोप में गिरफ्तार रेवन्ना को आठ दिन में जमानत मिल गई? क्या राज्य सरकार की ओर से बनाई गई विशेष जांच टीम यानी एसआईटी ने ढंग से काम नहीं किया? ध्यान रहे राज्य के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के देवगौड़ा परिवार और खास कर रेवन्ना के साथ बहुत खराब संबंध हैं। जब कांग्रेस के समर्थन से एचडी कुमारस्वामी मुख्यमंत्री और रेवन्ना मंत्री बने थे तब एक बार खबर आई थी कि रेवन्ना ने शिवकुमार के साथ बदसलूकी की थी।
बहरहाल, अदालत ने रेवन्ना को जमानत देते हुए जो बात कही उससे पता चलता है कि एसआईटी कोई काम नहीं किया। अदालत ने कहा कि उसके सामने रेवन्ना के खिलाफ कोई मैटेरियल सबूत नहीं पेश किया गया है। यहां तक कि पीड़ित महिला का बयान भी एसआईटी ने नहीं कराया है। अदालत ने कहा कि नियम 164 छोड़िए 161 के तहत भी पीड़ित महिला का बयान दर्ज नहीं हुआ है। सिर्फ पुलिस की एफआईआर ही अदालत के सामने है। सो, उसने रेवन्ना को रिहा कर दिया। तभी ऐसा लग रहा है कि मेरिट के आधार पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है और आगे भी कम से कम रेवन्ना पर किसी कठोर कार्रवाई की संभावना नहीं है। उनकी गिरफ्तारी सत्ता की ताकत दिखाने या कोई पुराना बदला लेने के लिए की गई थी।