जैसे जैसे जन सुराज को राजनीतिक दल में बदलने का समय नजदीक आ रहा है, बिहार में पार्टियों की बेचैनी बढ़ती जा रही है। जन सुराज के संस्थापक और जाने माने चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने रविवार को पटना के बापू सभागार में एक सभा करके ताकत दिलाई। एक महीने के अंतराल पर यह उनकी दूसरी सभा थी। जितनी बड़ी संख्या में लोग उनकी सभा में जुटे और जिस उत्साह के साथ जय बिहार का नारा लगा वह एक बड़े बदलाव का संकेत दे रहा था। किसी नेता के नाम का नारा लगाने की बजाय उत्साही भीड़ जय बिहार का नारा लगा रही थी। प्रशांत किशोर ने वैसे भी ऐलान किया है कि दो अक्टूबर को जब उनकी पार्टी बनेगी तो उसके बाद पूरे बिहार में सिर्फ जन सुराज ही दिखाई देगा। लेकिन उससे पहले ही जन सुराज दिखाई देने लगा है।
बिल्कुल दिल्ली में आम आदमी पार्टी के गठन जैसी परिघटना होती दिख रही है। चुनाव में क्या होगा यह नहीं कहा जा सकता है लेकिन उससे पहले प्रशांत किशोर की गतिविधियों ने पार्टियों की नींद उड़ाई है। सभी पार्टियां यह आकलन कर रही हैं कि उनको किसका वोट मिलेगा और वे किसका नुकसान करेंगे। अभी जो स्थिति दिख रही है उसके हिसाब से वे किसी एक पार्टी के नहीं, बल्कि सभी पार्टियों के वोट में सेंध लगाते दिख रहे हैं। जहां तक जमीनी हालात की बात है तो वहां सभी जातीय समूह इंतजार कर रहे हैं कि कौन जन सुराज के साथ पहले जुड़ता है। जैसे मुस्लिम समुदाय इस इंतजार में है कि अगर जातियां प्रशांत किशोर के साथ आएं। अगड़ी जातियां इंतजार कर रही हैं कि अति पिछड़े जुड़े, जिनको प्रशांत ने 70 सीटें देने का वादा किया है। अति पिछड़ों को अन्य पिछड़ों और सवर्णों की चिंता है। कुल मिला कर प्रशांत किशोर ने बिहार में माहौल बना दिया है।