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मोदी सरकार में फेरबदल की तैयारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला साल बहुत अच्छा नहीं बीता है। पहलगाम कांड और ऑपरेशन सिंदूर के सीजफायर से लेकर अमेरिका के साथ टैरिफ विवाद और व्यापार संधि में समझौता करने की चर्चाओं के बीच पहला साल बीता। हालांकि लोकसभा चुनाव में लगे झटके से पार्टी उबर गई है। एक के बाद एक कई राज्यों में चुनाव जीत कर भाजपा ने लोकसभा में हुए नुकसान को पीछे छोड़ दिया है। फिर भी यह पहली बार है, जब नरेंद्र मोदी गठबंधन की सरकार चला रहे हैं और सहयोगी पार्टियों का प्रत्यक्ष या परोक्ष दबाव झेल रहे हैं। बिहार का विधानसभा चुनाव इस लिहाज से लिटमस टेस्ट की तरह है। इस चुनाव के नतीजों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुश्किलों पर विराम लगेगा या उनकी मुश्किलें बढ़ेंगी, यह बड़ा सवाल है। इस बीच चर्चा है कि बिहार चुनाव के बाद मोदी अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल करेंगे। नतीजा चाहे जो हो बदलाव होगा। अगले साल और उसके अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रख कर फेरबदल की जाएगी। 14 नवंबर को बिहार चुनाव का नतीजा आने और करीब एक हफ्ते में शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र के बीच मंत्रिमंडल में फेरबदल होने की संभावना है।

जानकार सूत्रों का कहना है कि बिहार के मंत्रियों में से कुछ लोगों की छुट्टी हो सकती है और नए चेहरे सरकार में आ सकते हैं। दो चेहरों की सबसे ज्यादा चर्चा है। बताया जा रहा है कि केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह की छुट्टी हो सकती है। उनकी जगह विवेक ठाकुर मंत्री हो सकते हैं। जो दूसरा चेहरा चर्चा में है वह राजीव प्रताप रूड़ी का है। सूत्रों के मुताबिक रूड़ी के प्रति पार्टी आलाकमान का सद्भाव बना है और उनको केंद्र में मंत्री बनाया जा सकता है। बिहार में चुनाव की घोषणा के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चुनाव अभियान शुरू किया तो उसकी शुरुआत सारण से हुई और वहां सारण के सांसद रूड़ी उनके साथ थे। यह एक टोटका भी कहा है। कहा जाता है कि सारण से चुनाव अभियान शुरू करने पर भाजपा की जीत होती है। बहरहाल, बिहार से दो अपेक्षाकृत युवा चेहरों रूड़ी और विवेक ठाकुर के नाम की चर्चा हो रही है।

बिहार में जैसी सरकार बनेगी उसका असर कैबिनेट में फेरबदल में दिखेगा। झारखंड से भाजपा के पास कोई आदिवासी सांसद नहीं हैं। लेकिन कहा जा रहा है कि नवंबर के मध्य में मंत्रिमंडल में बदलाव होता है तो किसी आदिवासी को मौका मिल सकता है। उसे अप्रैल में राज्यसभा में लाया जा सकता है। अगले साल पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव है। इस लिहाज से भी कुछ बदलाव होगा। केरल से सुरेश गोपी मंत्री हैं लेकिन उन्होंने कहा है कि हाल ही में राज्यसभा भेजे गए मास्टर सी सदानंदन को उनकी जगह मंत्री बनाया जाए। यह बदलाव संभव है। बंगाल का भी प्रतिनिधित्व बढ़ाया जा सकता है। तमिलनाडु के किसी नेता को कहीं से राज्यसभा में लाकर मंत्री बनाने की भी चर्चा है। उसके अगले साल उत्तर प्रदेश सहित सात राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाला है। इन राज्यों के सामाजिक और क्षेत्रीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री मोदी फेरबदल कर सकते हैं। बताया जा रहा है कि मंत्रियों की रिपोर्ट कार्ड उनके सामने है और पांच साल से ज्यादा समय से जितने मंत्री हैं उनमें से काफी मंत्रियों की सरकार से छुट्टी हो सकती है।

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