पंजाब में वैसे भी भाजपा के पास कभी भी अपना मजबूत नेता नहीं रहा है। भाजपा हाल के दिनों तक अकाली दल से तालमेल करक लड़ती थी। फिर भी उसके राष्ट्रीय नेता ही तालमेल आदि की बात करते थे। खासतौर से जब तक अरुण जेटली जीवित रहे वे ही पंजाब का मामला संभालते थे। अब ऐसा लग रहा है कि पंजाब भाजपा पूरी तरह से कांग्रेस से आए नेताओं के हवाले हो गई है। कैप्टेन अमरिंदर सिंह के करीब साढ़े चार साल के दूसरे कार्यकाल में यानी 2017 से 2021 के मध्य तक अकाली और भाजपा नेता जिनसे लड़ते रहे वे सब अब भाजपा में आ गए हैं और प्रदेश भाजपा का कामकाज देख रहे हैं।
सोचें, पंजाब भाजपा किस तरह से कांग्रेस के पूर्व नेताओं के हाथ में है कि अकाली दल के साथ तालमेल का जिम्मा पार्टी की ओर से उनको सौंपा गया है। इसमें सबसे हास्यास्पद स्थिति केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी की है। वे अमृतसर से पिछला लोकसभा चुनाव लड़े और हारे थे। उन्होंने एक हफ्ते पहले ही कहा था कि अकाली दल के साथ कोई तालमेल नहीं होगा। पुरी ने कहा था कि अकाली दल से परमानेंट तलाक हो गया है। लेकिन असली खबर यह है कि अकाली दल के साथ भाजपा के तालमेल की बात हो गई है और सीटों के बंटवारे पर चर्चा हो रही है। भाजपा की ओर से यह चर्चा कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ कर रहे हैं। ये दोनों नेता पिछले साल भाजपा में शामिल हुए। ये दोनों मजबूत और जमीनी नेता हैं। तभी भाजपा ने अपने पुराने नेताओं को दरकिनार किया है और कांग्रेस से आए नेताओं को आगे किया है।