राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

पंजाब में कांग्रेस छोड़ने वालों की मुश्किल

Image Source: ANI

पंजाब में कांग्रेस पार्टी के जिन नेताओं ने पार्टी छोड़ी आज वे सब मुश्किल में या दुविधा में हैं। उनको समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करें। यह स्थिति कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में गए नेताओं की ज्यादा है। हालांकि ऐसा नहीं है कि आम आदमी पार्टी में जाने वाले नेता सहज हैं। लोकसभा चुनाव से पहले कुछ नेता कांग्रेस छोड़ कर आप में भी गए थे और चुनाव भी लड़े थे लेकिन जीत नहीं सके। उसके बाद से आम आदमी पार्टी में उनकी कोई पूछ नहीं है। कांग्रेस छोड़ कर आप में गए डॉ. राजकुमार छाबेवाल होशियारपुर से चुनाव जीत गए तो उनकी पूछ है लेकिन गुरप्रीत सिंह जीपी फतेहगढ़ साहिब से चुनाव लड़े और हार गए। अब कहा जा रहा है कि वे फिर से कांग्रेस में वापसी की राह तलाश रहे हैं।

परंतु कांग्रेस के उन नेताओं की ज्यादा समस्या है, जो भाजपा में गए। उनको अपनी भूमिका समझ में नहीं आ रही है। राज्य में विधानसभा चुनाव 2027 में होना है तो उन्हें अपनी पोजिशनिंग करनी है। उनको समझ में आ गया है कि अभी पंजाब भाजपा के लिए तैयार नहीं है। वहां आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के लिए ही संभावना है। गौरतलब है कि 2022 के विधानसभा चुनाव के पहले कैप्टेन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटा कर कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बनाया था। उसके बाद कैप्टेन ने पार्टी छोडी और फिर उनके करीबियों के पार्टी छोड़ने का सिलसिला शुरू हो गया, जो लोकसभा चुनाव तक जारी रहा। कैप्टेन  और उनके साथ पार्टी छोड़ कर जितने लोग गए थे वे सभी या तो विधानसभा में हारे या लोकसभा चुनाव में हार गए। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हारे हुए रवनीत सिंह बिट्टू को केंद्रीय मंत्री बनाने और राज्यसभा में भेजने का फैसला किया। इससे भी कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में गए नेताओं में खलबली है।

तभी पिछले दिनों खबर आई कि प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने इस्तीफा दे दिया तो हैरानी नहीं हुई। हालांकि बाद में भाजपा ने कहा कि उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया है। परंतु खुद सुनील जाखड़ ने स्थिति स्पष्ट नहीं की है। ध्यान रहे वे पहले से भाजपा में शामिल हुए थे और बिट्टू से बड़े नेता हैं लेकिन भाजपा ने उनकी बजाय सिख नेता बिट्टू को तरक्की देने के लिए चुना तो वे नाराज हो गए। असल में कैप्टेन का पूरा परिवार और उनके करीबी रहे सुनील जाखड़ को भाजपा से कोई उम्मीद नहीं दिख रही है। कैप्टेन अमरिंदर सिंह बीमार हैं और वे सक्रिय राजनीति में सक्षम नहीं हैं। उनकी पत्नी परनीत कौर पटियाला सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ी थीं लेकिन वे तीसरे स्थान पर रहीं। आप से कांग्रेस में गए धर्मवीर गांधी चुनाव जीते थे। उनको उम्मीद थी कि भाजपा उनको कहीं एडजस्ट कर सकती है कि लेकिन उसने बिट्टू को चुना। इसी तरह कैप्टेन के बेटे रणइंदर सिंह के लिए भी भाजपा में कोई भूमिका तय नहीं है। वे कांग्रेस की टिकट पर दो बार चुनाव लड़े हैं। सो, कैप्टेन परिवार हो या जाखड़ परिवार हो, सब भाजपा में अपनी स्थिति को लेकर दुविधा में हैं और 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अपनी पोजिशनिंग करना चाह रहे हैं। पंजाब भाजपा के नेता भी कांग्रेस से आए नेताओं को कोई खास पसंद नहीं कर रहे हैं।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *